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    नागपुर. मंगलवार से 10वीं बोर्ड की परीक्षा शुरू हो गई. पहला दिन और भाषा विषय का पेपर होने की वजह से छात्रों को ज्यादा दिक्कतें नहीं आई. वहीं अपने ही स्कूल में परीक्षा देने की वजह से तनाव मुक्त भी रहे. कोरोना की वजह से वर्षभर ऑनलाइन क्लासेस होने से प्रश्नों के पैटर्न को भी आसान बनाया गया है. पहले दिन भाषा विषय के अंतर्गत हिंदी, मराठी और ऊर्दू सहित अन्य भाषा के पेपर लिये गये. छात्रों को अतिरिक्त समय मिलने के कारण दिक्कतें नहीं आई. केंद्रों में कोविड नियमों का सख्ती से पालन किया जा रहा है.

    रनर के माध्यम से सभी केंद्रों पर समय पर प्रश्न पत्र पहुंचा दिये गये थे. इस बार बोर्ड ने रनर की व्यवस्था की है. इससे केंद्रों का टेंशन कम हुआ है. शिक्षकों ने बताया कि परीक्षा में 75 फीसदी सिलेबस के तहत ही प्रश्न पूछे गये थे. प्रश्नों का स्वरूप भी आसान होने से अधिकांश समयावधि में प्रश्न पत्र हल कर लिये. अतिरिक्त समय में सही प्रश्नों का मिलाप भी कर लिया.

    मुख्य केंद्रों का बढ़ा टेंशन

    इस बार मुख्य और उप केंद्र इस तरह की व्यवस्था लागू की गई. जिन स्कूलों में 14 से कम छात्र है उन्हें उप केंद्र के रूप में तब्दील किया गया है लेकिन इस उपकेंद्रों की जिम्मेदारी मुख्य केंद्रों को ही सौंपी गई है. रनर के माध्यम से प्रश्न पत्र तो पहुंच रहे हैं लेकिन उत्तर पत्रिकाएं पहुंचाना केंद्र की जिम्मेदारी है. साथ ही मुख्य केंद्र और उप केंद्र दोनों के उत्तर पत्रिकाओं को एकत्रित कर कस्टोडियन तक पहुंचाने का भी कार्य सौंपा गया है. उल्लेखनीय है कि इस बार लगभग सभी स्कूलों में केंद्र दिये गये हैं. इससे पहले जिन स्कूलों में कभी केंद्र नहीं होते थे उनके कार्य की शैली शिथिल होने से दिक्कतें आ रही है. बोर्ड ने एक तरह से मुख्य केंद्रों पर काम का बोझ बढ़ा दिया है.

    नजर नहीं आ रहा दक्षता पथक 

    परीक्षा के दौरान अप्रिय घटनाओं को रोकने सहित नकल संबंधी मामलों के लिए प्रशासनिक अधिकारियों के दक्षता पथक बनाए गये हैं लेकिन यह दक्षता पथक महज नाम के ही है. ग्रामीण सहित सिटी के भी अनेक केंद्रों पर अब तक दक्षता पथक ने दस्तक नहीं दी है. हालांकि जहां स्कूल वहां केंद्र होने से इस बार सब कुछ ‘बल्ले’ है मुख्य केंद्र संचालक के अलावा अन्य किसी भी तरह की निगरानी नहीं देखने को मिल रही है.