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    नागपुर. राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विवि ने परीक्षा के लिए 50-50 फार्मूला लागू किया है. इस वर्ष से सेमेस्टर पैटर्न में विवि द्वारा सम सत्र (ग्रीष्म) की एक ही परीक्षा ली जाएगी. वहीं कॉलेजों द्वारा विषम सत्र की परीक्षा लेकर परिणाम भी जारी किया जाएगा. सत्र शुरू होकर काफी वक्त निकल गया है. इसके बाद भी प्रथम वर्ष के पहले सेमेस्टर की परीक्षा शुरू नहीं हो सकी है. विवि द्वारा परीक्षा पद्धति में किये गये बदलाव के कारण दिक्कतें आ रही है.

    वहीं दूसरी ओर विवि ने ग्रीष्म सत्र परीक्षाओं की तैयारी शुरू कर दी है लेकिन प्रथम सत्र की शीत सत्र परीक्षा का अब तक अता-पता नहीं है. परीक्षा में देरी होने से परिणाम में भी देरी होगी. इससे अगले सत्र पर असर पड़ेगा. विवि द्वारा प्रथम वर्ष को छोड़कर बाकी शीत सत्र की सभी परीक्षाएं शुरू कर दी गई है. शीत सत्र परीक्षाओं का तीसरा चरण चल रहा है. फिलहाल विवि और कॉलेजों के बीच प्रथम वर्ष के पहले सेमेस्टर की परीक्षा शुल्क को लेकर विवाद चल रहा है.

    विवि ने कोरोना के कारण परीक्षा शुल्क में 75 फीसदी तक कटौती की है. शेष 25 फीसदी शुल्क की मांग विवि द्वारा की जा रही है. इस हालत में कालेजों के पास परीक्षा शुल्क से मिलने वाली निधि कुछ भी नहीं बचेगी. इसी विवाद का परिणाम परीक्षा पर भी हो रहा है. एमकेसीएल द्वारा छात्रों का डाटा एकत्रित किया जा रहा है.

    प्रवेश के लिए व प्रवेश के बाद छात्रों ने विवि के पोर्टल पर पंजीयन किया है. इसकी समूची जानकारी प्रो-मार्क के पास है. यह डाटा एमकेसीएल के पास नहीं होने से ही दिक्कतें आ रही है. एमकेसीएल ने कॉलेजों से डाटा मांगा है, लेकिन कॉलेज इसका विरोध कर रहे हैं. पंजीयन नहीं होने से छात्रों को एनरॉलमेंट नंबर नहीं मिलेगा. इस वजह से छात्र परीक्षा से भी वंचित रह सकते हैं.

    शुरुआत से ही विरोध 

    दरअसल, विवि के 50-50 फार्मूला को लेकर कॉलेजों द्वारा शुरुआत से विरोध किया जा रहा था. कॉलेजों का आरोप है कि विवि ने परेशानियों को न समझते हुए एकतरफा निर्णय लिया है. सीनेट बैठक में हुई चर्चा के बाद यह तय किया गया था कि कॉलेज 1,3,5 व 7 तथा विवि 2,4,6, व 8 सेमेस्टर की परीक्षा लेगा. विवि ने ग्रीष्म सत्र पूरक परीक्षा कॉलेजों को सौंपी है. छात्रों के पंजीयन और परीक्षा की जिम्मेदारी एमकेसीएल को दी गई है लेकिन एमकेसीएल पंजीयन के बाद भी कॉलेजों से डाटा मांग रहा है. इस सभी गतिविधियों की वजह से ही प्रथम वर्ष के सेमेस्टर की परीक्षा अटक गई है.