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    नागपुर. जिला परिषद में भले ही कांग्रेस पूर्ण बहुमत से सत्तासीन है और राकां व सहयोगी दलों का भी साथ है लेकिन आगामी सवा दो वर्ष के लिए 17 अक्टूबर को अध्यक्ष पद का चुनाव होने वाला है उस पर विपक्षी भाजपा की भी नजर है. भाजपा गली से लेकर दिल्ली तक सत्ता पलटने का खेल अच्छी तरह से खेल रही है. कयास लगाए जा रहे हैं कि वही गेम यहां जिला परिषद में भी हो सकता है. गुंजाइश हालांकि कम ही है लेकिन भाजपा की नजर कांग्रेस के नाराज सदस्यों पर लगी हुई है.

    दरअसल जिप में पूर्व मंत्री व ग्रामीण में कद्दावर नेता सुनील केदार गुट का एकतरफा कब्जा है. जिप में कांग्रेस के 30 सदस्यों में अधिकतर केदार गुट के हैं जिसके चलते अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सभी सभापति पदों पर उन्हीं के गुट के सदस्यों का कब्जा रहा है. नाना गावंडे, राजेन्द्र मूलक गुट के किसी भी सदस्य को किसी पद का लाभ नहीं दिया गया. ढाई वर्ष के कार्यकाल में पदों पर बैठे पदाधिकारियों द्वारा अपनी ही पार्टी के दूसरे गुट के सदस्यों के साथ भी भेदभाव किये जाने के आरोप लगते रहे हैं.

    कुछ सीनियर सदस्यों ने तो कई बार खुलेआम आरोप भी लगाए हैं. आरक्षण का रोस्टर निकलने के पूर्व तो नाराज गुट भाजपा के साथ सत्ता पलट की योजना तक बना रहा था. उस दौरान उनका दावा था कि राकां के कुछ सदस्य और निर्दलीयों का उन्हें साथ मिल सकता है. लेकिन एसटी वर्ग आरक्षण की घोषणा के बाद से वे कुछ ठंडे पड़ गए. भाजपा के पास एसटी वर्ग का सदस्य होने से वह भी अब चुनाव में अपना उम्मीदवार उतारने की संभावना तलाश रहा है.

    शुरू हो गए हैं प्रयास

    भाजपा के पास 14 सदस्य हैं. उसकी मंशा राज्य में शिवसेना को तोड़ने की तर्ज पर यहां कांग्रेस को तोड़कर सत्ता हासिल करने की है. कहा जा रहा है कि जबसे चंद्रशेखर बावनकुले भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष बने हैं तभी से भाजपा सदस्यों में उत्साह देखा जा रहा है.हालांकि जब तक कांग्रेस व राकां के साथ ही निर्दलीय मिलाकर भाजपा 16 सदस्यों का जुगाड़ नहीं कर लेती तब तक सत्ता हासिल करना उसका सपना ही रह जाएगा लेकिन कांग्रेस में यह तो निश्चित है कि उसके अनेक सदस्य अपनी ही पार्टी नेताओं से नाराज हैं और सत्तासीन होने के लिए अगर उन्हें अध्यक्ष, उपाध्यक्ष के साथ ही सभापति के पद मिले तो वे भाजपा के समर्थन से बगावत भी कर सकते हैं. भाजपा के एक जिम्मेदार सदस्य का कहना है कि हम ऐसे सदस्यों को टटोल रहे हैं और कुछ तो तैयारी भी दिखा रहे हैं.

    कांग्रेस को है अंदेशा

    हालांकि दो दिन पूर्व ही कांग्रेस सदस्यों की हुई बैठक में सुनील केदार व नेताओं ने अपने सदस्यों को एकजुटता बनाए रखने का निर्देश दिया है. समझा जा रहा है कि उन्हें भी भाजपा की मंशा की भनक लगी हुई है और वे सतर्कता बरत रहे हैं. कांग्रेस अपने अध्यक्ष पद के उम्मीदवार के नाम की घोषणा 17 अक्टूबर को ही करने वाली है जिस दिन चुनाव होगा. अगर वह 1-2 दिन पहले ऐसा करती है तो नाराज गुट को भाजपा के साथ जाने का अवसर मिल सकता है और यह मौका नेता देना नहीं चाहते.

    जिला परिषद में ऐसी घटना हो चुकी है जब सुरेश भोयर ने पाला बदलकर अध्यक्ष पद की कुर्सी पायी थी. यह भी कहा जाता है कि भाजपा में भी निशा सावरकर को अध्यक्ष बनाने की जिद की गई थी और पाला बदलने की धमकी के चलते उन्हें उक्त पद मिला था. जिला परिषद के लिए 17 अक्टूबर काफी उथल-पुथल वाला दिन साबित हो सकता है.