50 bribery traps, police and revenue tops in 5 months
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    मालेगांव : पुलिस प्रशासन (Police Administration) की भ्रष्ट कार्यप्रणाली (Corrupt Practices) को लेकर हमेशा चर्चा में होती है। विगत दो साल में मालेगांव विभाग में रिश्वतखोर 3 वरिष्ठ अधिकारी और 8 कर्मियों पर रिश्वत प्रतिबंधक विभाग (Bribery Prohibition Department) ने कार्रवाई की। 10 जून को वडनेर भैरव पुलिस स्टेशन (Vadner Bhairav Police Station) के कर्मी किसन कापसे और संतोष वाघ को 40 हजार की रिश्वत स्वीकार करते हुए गिरफ्तार किया गया। इसके लिए जिम्मेदारी सहायक निरीक्षक शकील शेख पर निश्चित करते हुए उनकी नाशिक नियंत्रण कक्ष में रवाना किया गया। मालेगांव पुलिस विभाग भ्रष्टाचार से खोखला हो गया है। बढ़ती रिश्वतखोरी पुलिस प्रशासन की प्रतिमा मलिन कर रही है। ‘सदरक्षणाय, खलनिग्रहणाय’ यह ब्रीदवाक्य पुलिस की खाकी वर्दी पर लगाया जाता है, इसका मतलब सामान्य जनता को सुरक्षित रखकर ‘खल’ वृत्ती के लोगों पर नकेल कसने का कार्य पुलिस विभाग से अपेक्षित है, लेकिन यह ब्रीदवाक्य को भूलने के कारण पुलिस प्रशासन में रिश्वतखोरो की संख्या अधिक हो गई है। 

    यह भ्रष्ट कार्यप्रणाली सुधारने के लिए कर्तव्य कठोरता और प्रामाणिकता का उपदेश करते हुए पुलिस अधीक्षक सचिन पाटिल लगातार सूचना कर रहे है। अपर पुलिस अधीक्षक चंद्रकांत खांडवी ने हिदायत देने का प्रयास किया था, लेकिन संबंधित अधिकारियों के नाक के नीचे मालेगांव और अन्य परिसर में रिश्वतखोरी के माध्यम से वसूली का धंदा बिना रोक टोक शुरू है। इस भ्रष्ट अपप्रवृत्तीं के कारण दो वर्षो में मालेगांव विभाग के 3 पुलिस अधिकारी और 8 कर्मियों की रिश्वतखोरी सामने आई है।

    रिश्वतखोरी से बढ़ी अधिकारियों की समस्या

    कर्मियों पर नियंत्रण रखने की जिम्मेदारी थानेदारों की है। इसलिए वडनेरभैरव के प्रकरण में सहायक निरीक्षक शेख का तबादला किया गया। उनकी अननमनन में नाशिक नियंत्रण कक्ष में रवाना किया गया। इससे पूर्व मालेगांव तहसील पुलिस स्टेशन के तत्कालीन निरीक्षक नरेंद्र भदाणे, पवारवाडी के तत्कालीन निरीक्षक गुलाबराव पाटिल, मनमाड के तत्कालीन निरीक्षक राजेंद्र कुटे, आयेशा नगर के निरीक्षक खगेंद्र टेंभेकर को नियंत्रण कक्ष का रास्ता दिखाया गया है।