Deer dying of Hunger Raver

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रावेर: रावेर (Raver) तहसील के सतपुड़ा पहाड़ी में स्थित पाल गांव (Pal Gaon) में पिछले कुछ दिनों से हिरण (Deer) पैदाइश केंद्र में बंदिश जंगली जानवर भूख प्यास से तड़प-तड़प कर दम तोड़ रहे हैं, ऐसी खबर सामने आ रही है। इस पैदाइश केंद्र के व्यवस्थापकों को इसका जिम्मेदार माना जा रहा है। जानवरों के भूख (Hunger) से मरने की खबर से हड़कंप मच गया है। जानकारी के मुताबिक 7 जानवरों की मौत हुई है। ग्रामीणों का आरोप है कि जानवरों को खाने के लिए एक वक्त ही चारा दिया जा रहा है। 

जानकारी के अनुसार नवभारत संवाददाता को पाल गांव के ग्रामीणों से सूचना मिली कि पिछले कुछ महीनों से पाल के इस केंद्र में वन्य प्राणी (हिरण) भूख प्यास से दम तोड़ रहे हैं। इन प्राणियों को खाने के लिये वक्त पर चारा नहीं मिल रहा है। यहां कुल 29 वन्य प्राणी रखे हुए थे, जिसमें से 7 प्राणियों की मौत हुई है। अभी यहां कुल 22 प्राणी है जिनमे 9 नर हैं, 11 मादा व 1 बच्चा ओर 1 चिंकारा, कुल 22 वन्य प्राणी अभी जीवित हैं। वन्य प्राणी क्या भूख से मरे या बीमारी से या फिर भूख के कारण से आपस में लड़ कर मरे हैं इसकी पुख्ता जानकारी नहीं मिली है। 

ग्रामीणों द्वारा मिली जानकारी की पुष्टि के लिए जब बताए गए स्थान ‘हिरण पैदाइश केंद्र’ पाल पर संवाददाता पहुंचे तो, नजारा दिल दहला देने वाला था। नवभारत संवाददाता ने देखा कि इस केंद्र के क्षेत्र में दूर-दूर तक वन्य प्राणियों के खाने के लिए कुछ भी नजर नहीं आ रहा था और न ही पीने के लिए पानी था। नवभारत संवाददाता को इस क्षेत्र हिरण पैदाइश केंद्र में करीब 22 ही वन्य प्राणी दिखाई दिए। इस स्थिति को देख कर यह तो स्पष्ट हो गया कि सभी जानवर भूखे नजर आए और 29 जानवर की जगह अब इस केंद्र मे 22 ही वन्य प्राणी मौजूद हैं। 

देखने पर यह प्रतीत हो रहा है कि इन वन्य प्राणियों को समय पर चारा-पानी नहीं मिल रहा है। जिस के कारण उन्होंने दम तोड़ दिया होगा। अधिक जानकारी लेने पर पता चला कि इस केंद्र में वन्य प्राणियों को चारा वक्त पर नहीं मिलता। कभी-कभार दो-दो दिन बाद इन पशुओं को चारा मिलता है। 
इस मामले में पाल वन्यजीव ऑफिस के वन पाल सूर्यवंशी से फोन पर बात की तो उन्होंने बताया की जंगल में अभी चारा नहीं है। हमे चारा लाने में दिक्कत है। हिरन पैदाइश केंद्र में कितने वन्य प्राणी मरे हैं इस पर उन्होंने कहा की तीन से चार वन्य प्राणी की मौत हुई है। इस मामले मे वन्यजीव आरएफओ अमोल चव्हाण से बात की उन्होंने कहा की यह वन्य प्राणी आपसी भिड़ंत (लड़ाई) से मरे हैं। यहां वन्य प्राणी कितने थे इस पर उन्होंने जवाब नहीं दिया। 

शासन हमें इन प्राणियों को चारा-पानी का अनुदान नहीं दे रहा है और यह हम अपने पास से खर्चा कर चारा दे रहे हैं। गांव के नागरिकों का कहना है कि इन प्राणियों को टाइम पर चारा पानी नहीं है। यह प्राणी भूखे हैं। गाव के किसान खेत से केले के पत्ते, केले के तने और अन्य चारा देते हैं।