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    नाशिक : खानदेश के जलगांव, धुलिया और नंदुरबार (Jalgaon, Dhulia and Nandurbar) जिले के विभिन्न कोविड अस्पतालों पर 8 करोड़ 26 लाख रुपये का बिजली बिल बकाया है। महावितरण (Mahavitaran) द्वारा बार-बार फॉलो-अप के बावजूद, इन अस्पतालों (Hospitals) ने अपने बकाया का भुगतान नहीं किया है। कोविड के संकट में भी महावितरण ने सभी अस्पतालों और नागरिकों सहित आवश्यक सेवाओं को निर्बाध बिजली आपूर्ति प्रदान की।

    इसमें सरकारी और निजी अस्पताल शामिल हैं जो कोविड मरीजों (Covid Patients) का इलाज कर रहे हैं। महावितरण ने इस बात का पूरा ख्याल रखा कि वहां बिजली आपूर्ति बाधित न हो इसलिए, महावितरण बिजली आपूर्ति को बाधित किए बिना बकाया भुगतान करने के लिए संबंधित अस्पतालों के प्रशासन के साथ बार-बार अनुवर्ती कार्रवाई कर रहा है, लेकिन अस्पतालों ने बकाया का भुगतान नहीं किया है। अब इसे कैसे रिकवर किया जाए यह सवाल महावितरण के सामने खड़ा हो गया है।

    जलगांव स्थित सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में दो बिजली कनेक्शनों का 1 करोड़ 66 लाख 42 हजार 640 बकाया है। जिला सामान्य अस्पताल पर 10 लाख 75 हजार 848 रुपये बकाया है। जबकि गोदावरी फाउंडेशन, डॉ. उल्हास पाटिल मेडिकल कॉलेज अस्पताल पर 4 करोड़ 66 लाख 36 हजार 223 रुपये का बिजली बिल बकाया है। श्री भाऊसाहेब हिरे राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय धुलिया में 83 लाख 80 हजार 887 रुपये और शिरपुर के सरकारी अस्पताल का बिजली बिल 12 लाख 67 हजार 76 रुपये है। नंदुरबार के जिला सामान्य अस्पताल का बिजली बिल 61 लाख 43 हजार 324 रुपये है। 

    मुख्य अभियंता की अपील

    जलगांव परिमंडल, महावितरण के मुख्य अभियंता कैलाश हुमणे ने हाल ही में इन अस्पतालों के अधीक्षक और चिकित्सा अधीक्षक को पत्र लिखकर बिजली का पूरा बिल देने की अपील की है। नोटिस में कहा गया है कि बकाया भुगतान को लेकर उन्हें समय-समय पर नोटिस जारी किए गए हैं। लेकिन, बार-बार फॉलो-अप के बावजूद, अस्पतालों ओर से कोई उचित प्रतिक्रिया नहीं मिली है। महावितरण कोविड-19 आपदा के कारण गंभीर वित्तीय संकट में है और उसके पास बकाया की वसूली के अलावा कोई विकल्प नहीं है। इतनी बड़ी राशि का बकाया रखना संभव नहीं है, अपने स्तर पर फॉलोअप कर बकाया भुगतान की व्यवस्था की जाए अन्यथा कंपनी के नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। इन पत्रों की प्रतियां जलगांव, धुलिया और नंदुरबार के जिला कलेक्टरों के साथ-साथ जिला सर्जनों को भी भेजी गई हैं। 

    महावितरण गंभीर वित्तीय संकट में है और बकाया वसूल करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। इतनी बड़ी राशि का बकाया रखना संभव नहीं है, अपने स्तर पर फॉलोअप कर बकाया भुगतान की व्यवस्था की जाए नहीं तो हम कंपनी के नियमानुसार कार्रवाई करेंगे।

    - कैलाश हुमणे, मुख्य अभियंता