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नासिक : आय में वृद्धि करने के लिए कराए गए अनधिकृत संपत्ति सर्वेक्षण (Unauthorized Property Survey) में सिडको विभाग (CIDCO Department) में 400 अनधिकृत संपत्ती धारकों (Unauthorized Property Holders) को नोटिस जारी किया गया है, सभी अनधिकृत संपत्ती धारकों को पंधरा दिनों के अंदर नोटिस का जवाब देने के आदेश दिए गए हैं। 15 दिन की कालावधि में नोटिस का जवाब नहीं दिया गया तो संपत्ति का अनधिकृत हिस्सा तोड़ दिया जाएगा और उसका खर्च अनधिकृत संपति धारक से वसूल किया जाएगा। 

राज्य सरकार से प्राप्त जीएसटी को छोड़कर नासिक महानगरपालिका (Nashik Municipal Corporation) की आय के सभी स्रोत कमजोर पड़ गए हैं, इसलिए दिसंबर महीने में हुई समीक्षा में आय में करीब साढ़े चार सौ करोड़ रुपए की कमी पाई गई। इसलिए संपत्ति कर वसूल की समीक्षा के बाद बकायेदारों की संख्या ज्यादा होने पर बकायेदारों को नोटिस जारी की गई। इतना ही नहीं शहर में बड़ी मात्रा में अनधिकृत आय और पाइप कनेक्शन की शिकायत के आधार पर अनधिकृत निर्माण, अतिरिक्त निर्माण, स्थान के उपयोग में परिवर्तन, बालकनियों और सामुहिक स्थलों पर अतिक्रमण और पाइप कनेक्शन लेने की तलाशी लेने का निर्णय लिया गया। 

महानगरपालिका प्रशासन ने बगैर किए गए निर्माण का पता लगाने का आदेश दिया था, इसके लिए 26 से 29 जनवरी की अवधि में 31 टीमों के माध्यम से तलाशी अभियान चलाया गया और नगर नियोजन विभाग को अभियान कार्य की रिपोर्ट सौंपी गई। नगर नियोजन विभाग के अंतर्गत तीन उपयंत्री हैं के माध्यम से अवैध निर्माण करने वालों को  नोटिस भेजी गई। सिडको विभाग को 400 से अधिक नोटिस भेजी गई। इस नोटिस के कारण अवैध रूप से आय कमाने वालों में हड़कंप मच गया। 

सिडको विभाग की रिपोर्ट के अनुसार संबंधित आय धारकों को नोटिस भेजने का काम शुरू किया गया और चार सौ धारकों को नोटिस भेजकर उनसे पंद्रह दिन के भीतर खुलासा करने का निर्देश दिया गया। नोटिस में कहा गया है कि यदि आवश्यक खुलासा नहीं किया गया तो आय के अनधिकृत हिस्से को हटाने के साथ-साथ अवैध कारोबार से जुड़े हिस्से को सील कर दिया जाएगा। 

प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार आय के उपयोग में परिवर्तन, अतिरिक्त निर्माण आदि के लिए नोटिस भेजे जा रहे हैं। सिडको विभाग में चार सौ से अधिक नोटिस भेजे जा चुके हैं और अवैध निर्माण करने वालों को पंद्रह दिन का समय अपनी बात रखने को दिया गया है।

- उद्धव गांगुर्डे, उप अभियंता, नगर नियोजन विभाग।