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    नाशिक: बागी तेवर अपनाने वाले एकनाथ शिंदे के साथ वास्तव में कितने लोग हैं और शिंदे ने अपने साथ कितने विधायकों के होने का दावा किया है, यह तो देर सबेर सामने आ ही जाएगा, लेकिन जहां तक नाशिक के शिवसैनिकों का सवाल है, तो उन्होंने साफ कर दिया है कि वे सीएम उद्धव ठाकरे के ही साथ रहेंगे। एकनाथ शिंदे की बगावत का असर शिवसेना में दिखायी दे रहा है। नाशिक के शिवसैनिकों का कहना है कि वे किसी भी हालत में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे का साथ नहीं छोड़ेंगे।

    नाशिक के शिवसेना पदाधिकारियों ने कहा है कि भले ही अधिकांश विधायक एकनाथ शिंदे के साथ हों, लेकिन नाशिक के शिवसैनिक उद्धव का साथ नहीं छोड़ेंगे। नाशिक का एक भी पदाधिकारी और शिवसैनिक एकनाथ शिंदे के साथ नहीं जाएगा। ऐसा दावा नाशिक के शिवसेना पदाधिकारियों और शिवसैनिकों ने किया है।    

    दो खेमों में बंटी नजर आ रही शिवसेना

    विधान परिषद चुनाव के बाद एकनाथ शिंदे ने बगावत का झंडा बुलंद किया है। शिंदे की इस बगावत के बाद शिवसेना दो खेमों में बंटी नजर आ रही है। शिवसेना उपनेता सुनील बागुल, जिला प्रमुख विजय करंजकर, महानगर प्रमुख सुधाकर बडगुजर, पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय बोरस्ते, समूह के पूर्व नेता विलास शिंदे, वैभव ठाकरे ने उद्धव ठाकरे के समर्थन में रैली निकाली। नाशिक नांदगांव से शिवसेना विधायक सुहास कांडे भी शिंदे के गुट में शामिल हो गए हैं। नाशिक में शिवसेना पदाधिकारी ठाकरे के साथ नजर आ रहे हैं। शिवसेना पदाधिकारियों का कहना है कि हम वफादार शिवसैनिक हैं और हम उद्धव ठाकरे के साथ ही रहेंगे। पूर्व विधायक वसंत गीते ने दावा किया है कि शिवसेना ने ऐसी कई लहरों को सामना किया है। पार्टी बड़ी है, पार्टी से बड़ा कोई नहीं है। यह नारायण राणे, छगन भुजबल और गणेश नाईक के उदाहरणों से स्पष्ट हो चुका है।

    उद्धव ठाकरे के साथ हम सब पदाधिकारी और शिवसैनिक हैं। उद्धव ठाकरे के आदेश हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। नाशिक में कोई शिवसैनिक पार्टी नहीं छोड़ेगा। हम अंत तक शिवसेना में रहेंगे।

    -सुधाकर बडगुजर. महानगर प्रमुख, शिवसेना

    शिवसेना हमारा परिवार है और उद्धव ठाकरे हमारे परिवार के मुखिया हैं। हमें यकीन है कि परिवार में झगड़ा ज्यादा समय तक नहीं चलेगा। शिवसेना अभेद्य थी और अभेद्य रहेगी।

    -अजय बोरस्ते, पूर्व नेता प्रतिपक्ष, नाशिक महानगरपालिका

    शिवसेना ने अब तक कई घावों को सहा है और उसे पचाया भी है। उससे शिवसेना फिर से उठ खड़ी हुई है। कोई चाहे कितनी भी बगावत कर ले, शिवसेना के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

    -वसंत गीते, पूर्व विधायक