मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा ( Maharashtra Assembly) और विधान परिषद (Maharashtra Legislative Council) ने सोमवार को दो विधेयक पारित किए जिनके तहत राज्य सरकार को वार्डों का सीमांकन करने तथा वार्डों की संख्या निर्धारित करने का अधिकार दिया गया है और राज्य चुनाव आयोग के लिए जरूरी किया गया है कि सरकार से सलाह के बाद ही चुनाव कार्यक्रम को अंतिम रूप दिया जाए।
महा विकास अघाडी (एमवीए) सरकार ने मुंबई महानगरपालिका अधिनियम और महाराष्ट्र नगर परिषदों, नगर पंचायतों, औद्योगिक नगरीय योजना कानून के साथ-साथ महाराष्ट्र ग्राम पंचायत तथा जिला परिषद और पंचायत समिति अधिनियम में संशोधन पेश किए थे। इस प्रस्ताव को विधानसभा और विधान परिषद से पारित कर दिया गया तथा विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने भी इसका समर्थन किया।
उच्चतम न्यायालय ने तीन मार्च को राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की एक रिपोर्ट को खारिज कर दिया था जिसमें स्थानीय निकायों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को 27 फीसदी आरक्षण देने की सिफारिश की गई थी। शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग से पिछड़ा आयोग की सिफारिशों पर कार्रवाई नहीं करने का भी निर्देश दिया है।
राज्य के सभी राजनीतिक दलों ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया था कि जब तक यह आरक्षण बहाल नहीं हो जाता है तब तक स्थानीय निकायों के चुनाव नहीं कराएं जाएं। यह भी फैसला किया गया है कि स्थानीय निकाय चुनाव कराने का निर्णय लेने का अधिकार सरकार को देने के वास्ते कानून बनाने के लिए मध्य प्रदेश मॉडल अपनाया जाए। महाराष्ट्र मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को इन दो विधेयकों को मंजूरी दी थी और उन्हें सोमवार को विधानसभा में पारित कराने के लिए पेश किया गया। (एजेंसी)