Yogesh Behl

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    पिंपरी: पिंपरी-चिंचवड़ महानगरपालिका (Pimpri-Chinchwad Municipal Corporation) में सत्ताधारी बीजेपी (BJP) जहां भ्रष्टाचार (Corruption) के कई घोटालों का सामना कर रही है, वहीं उसके पदाधिकारियों ने 2022-2023 के बजट (Budget) में उप-निर्देश के माध्यम से 885.66 करोड़ रुपए की हेराफेरी की है। इससे बीजेपी का भ्रष्ट चेहरा एक बार फिर सामने आ गया है क्योंकि उसकी मंशा इन कामों को अपने हाथों से करने और इससे करोड़ों रुपए कमाने की है। यह आरोप लगाते हुए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के पूर्व महापौर और मुख्य प्रवक्ता तथा चुनाव प्रमुख योगेश बहल (Yogesh Behl) ने मांग की है कि महानगरपालिका कमिश्नर सत्तादल द्वारा दिए गए उप-निर्देशों को स्वीकार किए बिना मूल बजट की अमलबाजी करें।

    इस संबंध में योगेश बहल ने एक बयान जारी कर कहा है कि वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए महानगरपालिका का मूल 4,961.65 करोड़ रुपए और केंद्र और राज्य सरकार की पुरस्कृत योजनाओं के साथ कुल 6,497.2 करोड़ रुपए का बजट स्थायी समिति को पेश किया गया है। इसके बाद स्थायी समिति ने 23 फरवरी को 885.66 करोड़ रुपए की राशि के उप-निर्देश जारी किए। यह शहर के नागरिकों के लिए सबसे उपयोगी और आवश्यक कार्यों से पैसे को कुछ कार्यों के साथ-साथ उनके सहायक नगरसेवकों के वार्डों में स्थानांतरित करने की साजिश है। 

    बीजेपी का मनमाना शासन पिछले पांच साल से चल रहा 

    योगेश बहल ने कहा कि बीजेपी का यह मनमाना शासन पिछले पांच साल से चल रहा है। अब तक बीजेपी के पदाधिकारी किसी भी नियम का पालन किए बिना कुछ ही मिनटों में बजट को मंजूरी देने की कोशिश कर रहे हैं। महानगरपालिका द्वारा एकत्र किया गया एक-एक रुपया लोगों से कर के रूप में वसूल किया जाता है। उस पैसे पर जनता का अधिकार है। हालांकि, नागरिकों के पैसे का दुरुपयोग किया जा रहा है और पदाधिकारियों द्वारा इस धन को लूटा जा रहा है। शहर का हर नागरिक बजट से जुड़ा है, उनसे जुड़े काम होते हैं। बजट को लागू करते समय नियमों का कड़ाई से पालन जरूरी है।

    बीजेपी ने आम सभा और बजट पर चर्चा से परहेज किया 

    स्थायी समिति द्वारा स्वीकृत बजट पर उप-निर्देशों के साथ सुझाव और आपत्तियां लेने का कानूनी प्रावधान है। हालांकि, यह प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है क्योंकि महानगरपालिका का कार्यकाल 13 मार्च, 2022 को समाप्त हो रहा है। बजट को भी धारा 96(4) के तहत अंतिम अनुमोदन के लिए महासभा द्वारा अनुमोदित किए जाने की उम्मीद थी। हालांकि, पदाधिकारियों ने एक आम बैठक आयोजित करने से परहेज किया है। महानगरपालिका अधिनियम के अनुसार, नगरसेवकों को बजट के पक्ष-विपक्ष पर चर्चा करने के साथ-साथ जनहित के लिए आवश्यक कार्यों को शामिल करने का अधिकार है।  हालांकि, सत्तारूढ़ बीजेपी ने आम सभा और बजट पर चर्चा से परहेज किया है। बीजेपी पदाधिकारियों ने जनप्रतिनिधियों के अधिकारों पर हमला करने का पाप किया है क्योंकि अब बजट को कमिश्नर द्वारा मंजूरी दी जाएगी। साथ ही अब तक किए गए गैरजिम्मेदार प्रबंधन और भ्रष्टाचार के आरोप लगातार सामने आ रहे हैं। कमिश्नर द्वारा पेश किया गया मूल बजट 1 अप्रैल से लागू होने की उम्मीद है, क्योंकि सत्तारूढ़ बीजेपी ने अपने भ्रष्ट प्रबंधन के पोस्टमार्टम के डर से एक आम सभा नहीं बुलाई।

    मौजूदा नगरसेवकों कार्यकाल 13 मार्च को समाप्त हो रहा

     पूर्व महापौर योगेश बहल ने मांग करते हुए कहा कि चूंकि मौजूदा नगरसेवकों कार्यकाल 13 मार्च को समाप्त हो रहा है, कमिश्नर का बजट महाराष्ट्र मनपा अधिनियम के 100 (ए) के अनुसार लागू होगा। धारा 95 के अनुसार महानगरपालिका अधिनियम में कमिश्नर द्वारा प्रस्तुत मूल बजट को ही क्रियान्वित करने का प्रावधान है, अतः बीजेपी प्राधिकारियों द्वारा प्रस्तुत किसी उप-निर्देश को स्वीकार किए बिना ही मूल बजट को लागू किया जाना चाहिए। बीजेपी का भ्रष्ट चेहरा एक बार फिर जनता के सामने आ गया है क्योंकि उसने गुप्त रूप से आम आदमी से 885.66 करोड़ रुपए का गबन करने की कोशिश की है। मनमाना उपनिदेशों को स्वीकार न करते हुए महानगरपालिका कमिश्नर को बिना किसी कुप्रबंधन का शिकार हुए मूल बजट को लोगों के हित में लागू करना चाहिए।