Amol Kolhe Banner Shirur

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पिंपरी: पुणे जिले के शिरूर (Shirur) लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में आघाडी बनाम महायुति के बीच होने वाली लड़ाई शरद पवार और अजित पवार की प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है। इस पर राज्यभर की नजरें टिकी है। ऐसे में नामांकन से पूर्व दोनों तरफ से चुनाव प्रचार ने रंग पकड़ लिया है। इसमें खेड़ तालुका के गांव में लगे बैनर्स (Banner) की काफी चर्चा हो रही है। एक बैनर में अमोल कोल्हे (Amol Kolhe) को संबोधित करते हुए लिखा गया है कि अमोल दादा पांच साल से अधिक समय के बाद हमारे गांव में आपका स्वागत है। बैनर के माध्यम से नाराज मतदाताओं ने मौजूदा संसद से कड़वा सवाल पूछा है कि 5 साल आप कहां थे।

अमोल दादा पांच साल से अधिक समय के बाद हमारे गांव में आपका स्वागत है
शिरूर में महायुति (अजित पवार राष्ट्रवादी) की तरफ से शिवाजीराव आढलराव पाटील, जबकि आघाडी (शरद पवार राष्ट्रवादी) की ओर से डॉ. अमोल कोल्हे उम्मीदवार हैं। आढलराव तीन टर्म सांसद रह चुके है, जबकि अभिनेता से नेता बने कोल्हे कोल्हे मौजूदा सांसद है। चुनाव आने के बाद भी सीरियल की शूटिंग की वह से सांसद कोल्हे निर्वाचन क्षेत्र में साढ़े चार वर्ष ज्यादा नहीं घूमे। इस वजह से मतदाता कोल्हे से नाराज हैं। इसलिए अमोल कोल्हे को संबोधित करते बैनर में लिखा गया है कि अमोल दादा पांच साल से अधिक समय के बाद हमारे गांव में आपका स्वागत है। यह मुद्दा प्रचार का महत्वपूर्ण मुद्दा बनेगा और आढलराव अपने प्रचार पर फोकस करते नजर आ रहे हैं।

हमें बयानबाजी से कोई फायदा नहीं हुआ
उम्मीदवारी मिलने के बाद कोल्हे अब निर्वाचन क्षेत्र में घूमने लगे है। गांव गांव का दौरा कर रहे है। लेकिन वे पिछले साढ़े चार वर्ष में घूमे नहीं। इसका दुख कई गांवों को है। कुछ जगहों के नागरिक सीधे तौर पर इसे बयां कर रहे है। कोल्हे के हमें बयानबाजी से कोई फायदा नहीं हुआ है, लेकिन वाघोली में एक गैर सरकारी संगठन वाको ने पहले ही कोल्हे से अपने काम का हिसाब मांग कर उनके लिए समस्या खड़ी कर दी है। खेड तालुका के रासे-भोस गांव में लगाए गए बैनर ने इसमें और इजाफा कर दिया।

आढलराव ने साधा निशाना
अमोल दादा पांच साल से अधिक समय के बाद हमारे गांव में आपका स्वागत है। गांव में लगे एक बैनर पर एक संदेश लिखा है। जो कोल्हे को चेतावनी देता है कि निर्वाचन क्षेत्र में न घूमें। इसके तहत 2019 के हमारे अपने वफादार वोटर का भी व्यंग्यात्मक जिक्र है। इस बीच, सोमवार 15 अप्रैल को सोमवार आढलराव ने उपरोक्त मुद्दे पर कोल्हे पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि मैं सांसद नहीं था, फिर भी जनता के बीच रहा। इसके विपरीत जो सांसद थे, वे कभी भी अपने संसदीय क्षेत्र के गांवों में नहीं गए, कहीं नहीं गए। अब फिर वही वोट मांगने आए हैं। क्या उन्हें विधानसभा क्षेत्र के लोगों के सवालों की जानकारी है जो कह रहे हैं कि कोल्हे कभी किसी के सुख-दुख में शामिल नहीं हुई?