पुणे: गर्मी की छुट्टियों की वजह से ब्लड डोनेशन कैंप (Blood Donation Camp) की संख्या कम होने के कारण रक्तदान में कमी की जानकारी सामने आई है। इस वजह से मई महीने के मध्य के बाद कुछ ब्लड बैंक (Blood Bank) में रक्त (Blood) की कमी महसूस होने की आशंका विशेषज्ञों ने व्यक्त की है। फिलहाल मध्य मई तक चल सकने लायक ब्लड स्टॉक (Blood Stock) है, लेकिन इसके बाद ब्लड की कमी से जूझना पड़ सकता है। फिलहाल ब्लड डोनेशन कैंप होने के कोई आसार नहीं नजर आ रहे हैं।
शहर में गर्मी की छुट्टियों के कारण कॉलेजों में होने वाले रक्तदान शिविर बंद हैं। कोरोना के बाद दो वर्षों में पहली बार किसी तरह का प्रतिबंध नहीं लगा है। इस वजह से बड़ी संख्या में नौकरीपेशा लोग पर्यटन के लिए शहर से बाहर गए हैं।
गणपति मंडलों से आगे आने की अपील
इसका सीधा असर रक्तदान की संख्या कम होने के रूप में स्वास्थ्य जानकारों की नजर में सामने आई है। गणपति मंडलों, ढोल ताशा टीम की तरफ से रक्तदान शिविर का आयोजन किया जाता है। उनसे अब आगे आकर शिविर का आयोजन करने की अपील हेल्थ सेक्टर से जुड़े लोगों ने की है।
ब्लड बैंकों की संख्या
- शहर में ब्लड बैंक -25
- हर दिन ब्लड की जरूरत – 600 से 1000 यूनिट
ब्लड कमी की वजहें
- सूचना टेक्नोलॉजी के साथ विभिन्न कंपनियों की तरफ से नियमित रूप से ब्लड जमा किए जाते है। लेकिन अभी तक कई कंपनियां पूर्ण रूप से शुरू नहीं हो पाई है। इसका असर रक्तदान शिविरों पर हो रहा है।
- औद्योगिक सेक्टर से होने वाले रक्तदान शिविर को फिलहाल रिस्पांस मिल रहा है, लेकिन मई महीने की मध्य तक रक्तदान शिबिर प्रस्तावित है।
- रक्तदान में कॉलेज का हमेशा से योगदान रहा है, लेकिन फिलहाल गर्मी की छुट्टी की वजह से कॉलेज और यूनिवर्सिटी बंद होने के कारण बल्ड डोनेशन कैंप की संख्या कम हो गई है।
ब्लड स्टॉक में नहीं हैं
वहीं, कुछ ब्लड बैंकों का कहना है कि कोरोना के उफान के वक्त पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष ब्लड स्टॉक की स्थिति अच्छी है। मांग के मुताबिक रक्त की सप्लाई की जा रही है, लेकिन ब्लड स्टॉक में नहीं हैं।
इस बार मई महीने की शुरुआत में रक्तदान शिविर हुए थे। इससे इस महीने के मध्य तक चल सकने लायक ब्लड जमा हो गए हैं, लेकिन इसके बाद किसी शिविर का आयोजन नहीं किया गया। चूंकि कॉलेज और सामाजिक संगठनों द्वारा इस महीने में ब्लड डोनेशन कैंप का आयोजन कम होता है, इसलिए मई महीने में हर साल ऐसी स्थिति बन जाती है।
-डॉ. अतुल कुलकर्णी, कार्यकारी संचालक, जनकल्याण ब्लड बैंक, पुणे