GST
File Photo

    Loading

    पिंपरी : जीएसटी (GST) (वस्तु सेवा कर) के 5 फीसदी टैरिफ ढांचे को खत्म करने और इसे 12 फीसदी करने के लिए चर्चा चल रही है। यह उद्योग क्षेत्र (Industry Sector) के लिए एक बड़ा झटका होने की संभावना है। अप्पासाहेब शिंदे, अध्यक्ष, चिंचवड़ चैंबर ऑफ इंडस्ट्रीज, कॉमर्स, सर्विसेज एंड एग्रीकल्चर ने इस बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण को खत लिखकर 5 फीसदी के ढांचे को रद्द न करने के साथ ही विकासदर तीन फीसदी से ज्यादा जाने और ईंधन के साथ साथ उद्योगों में उत्पादित सभी वस्तुओं का जीएसटी की सूची ने समावेश करने की मांग की है। 

    चेंबर की ओर से भेजे गए खत में कहा गया है कि वर्तमान में, 2,679 वस्तुओं में से 64 प्रतिशत पर 5 प्रतिशत की दर से कर लगाया जाता है। कर माफी वाले वस्तुओं की संख्या 120 से 125 तक है और बचे हुए 2490 वस्तुओं का समावेश 12, 18 और 28 फीसदी दर प्रणाली में किया गया है। मूलतः 5 फीसद कर दर प्रणाली में मोबाइल, सॉफ्टवेयर, अगरबत्ती, खाद्य तेल, दवाएं, मसाले और खाद्य पदार्थ, मूंगफली के लिए कच्चे माल शामिल हैं। चटनी, प्रिंटर, प्रिंटिंग, सीसीटीवी, स्टेशनरी, सैनिटरी, कृषि और औद्योगिक उत्पादों के लिए बिजली के पंप आदि का समावेश है।

    केंद्रीय बजट से पहले कर प्रणाली को नहीं बदला जाना चाहिए

    कोरोना के प्रकोप के कारण उद्योग दो साल बाद ठीक हो रहा है और इन वस्तुओं पर कर 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत करने की योजना है। इसलिए, मोटर वाहन उद्योग और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम जो उन्हें आपूर्ति करते हैं, उन्हें 7 फीसदी मूल्य वृद्धि मिलेगी और डीजल को परिवहन में 5 फीसदी की वृद्धि और लागत और पूंजी निवेश में 12 फीसदी की वृद्धि मिलेगी। शिंदे ने एक बयान में यह भी कहा कि पहले ही मांग घटने से वाहन उद्योग की हालत पस्त है। उसी में कर बढ़ाने पर उत्पादों के मूल्यों में 15 प्रतिशत वृद्धि क्रम प्राप्त होगी। ऑटोमोटिव उद्योग 5 प्रतिशत जीएसटी के साथ कच्चे माल की खरीद कर तैयार माल पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगाया रहा है। सरकार की ओर से कुल 23 प्रतिशत जीएसटी लगा रही है। इसमें पेट्रोल और डीजल पर 26 प्रतिशत कर शामिल है। बयान में आग्रह किया गया है कि केंद्रीय बजट से पहले कर प्रणाली को नहीं बदला जाना चाहिए।