अंतिम वार्ड संरचना के बाद तय होगा आरक्षण का भविष्य

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    पिंपरी: 2011 की जनगणना पर आधारित वार्ड संरचना ने पिंपरी-चिंचवड (Pimpri-Chinchwad) के कई दिग्गज राजनीतिक नेताओं (Political Leaders) के सियासी भविष्य पर सवाल खड़े कर दिए हैं। चूंकि अब इसमें आरक्षित सीटें (Reserved Seats) जोड़ी जाएंगी, ऐसे में राजनीतिक दिग्गजों की जिंदगी अधर में लटकी हुई है। मार्च के पहले सप्ताह में आरक्षण का ड्रा निकलने की उम्मीद है।

    पिंपरी-चिंचवड महानगरपालिका के मौजूदा नगरसेवकों का पांच साल का कार्यकाल 13 मार्च 2022 को समाप्त हो रहा है। तदनुसार, वार्डों के गठन के साथ चुनाव (Election) प्रक्रिया शुरू हो गई है। जैसे ही वार्ड संरचना के मसौदे की घोषणा की गई, कई उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ने के लिए खींची गई तलवार को फिर से ‘म्यान’ कर दिया है। 

     600 से अधिक आपत्तियां दर्ज कराई जा चुकी 

    वार्ड संरचना कुछ के लिए सुविधा और दूसरों के लिए राजनीतिक भविष्य के लिए खतरा भी बन गई है। इसलिए वार्ड संरचना को लेकर आपत्ति दर्ज करने का सिलसिला बढ़ता ही जा रहा है। अब तक 600 से अधिक आपत्तियां दर्ज कराई जा चुकी हैं, जबकि समग्र वार्ड संरचना कई लोगों के राजनीतिक भविष्य को निर्धारित और अस्थिर करने की संभावना है, वार्डों के सामाजिक और महिला आरक्षण का अधिक प्रभाव पड़ेगा।

    ओबीसी आरक्षण पर लगा ध्यान

    पिंपरी-चिंचवड महानगरपालिका के 46 वार्डों में 139 सदस्य हैं। इनमें से 70 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। सामाजिक आरक्षण के अनुसार 22 सीटें अनुसूचित जाति और 3 अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित होंगी। महिलाओं के लिए आरक्षण 50 प्रतिशत पर रहेगा। इसके अलावा शेष 38 सीटें ओबीसी के लिए आरक्षित हैं। समग्र वार्ड ढांचे के साथ-साथ वार्डों के आरक्षण को छोड़कर शहर के राजनीतिक नेताओं का भविष्य तय होगा। अदालती कार्यवाही के चलते ओबीसी आरक्षण पर फैसला लंबित है। इसलिए वार्ड बनने के बाद भी चुनाव आयोग ने आरक्षण का ड्रा नहीं जारी किया है। 

    ड्रा मार्च के पहले सप्ताह में  होने की उम्मीद

    यह ड्रा मार्च के पहले सप्ताह में  होने की उम्मीद है। हालांकि, अगर अदालत के फैसले में देरी होती है, तो ड्रॉ में देरी हो सकती है। ऐसे में अब सबका ध्यान आरक्षण के फैसले पर है। इस बीच, महानगरपालिका में लगातार सदस्य रहे कई दिग्गजों का भविष्य वार्ड संरचना के कारण कठिनाइयों का सामना कर रहा है। महिला आरक्षण का भी खतरा है। इसलिए शहर के राजनीतिक दलों के दिग्गज नेता अब वैकल्पिक वार्ड की तलाश में हैं।