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पुणे: कोरोना महामारी से आर्थिक संकट में फंसे छोटे विक्रेताओं को उबारने के लिए मनपा ने केंद्र सरकार की पीएम स्वनिधि योजना से लोन उपलब्ध कराया था। अधिकृत और अनधिकृत व्यवसायी का फर्क देखे बिना हर किसी को लोन दिया गया था। इससे कइयों ने खाद्यपदार्थों के स्टॉल लगाए हैं। लेकिन अब कोर्ट के आदेश से यह विक्रेता इस तरह सड़कों पर लगाए गए स्टॉल्स पर खाद्य पदार्थ बनाने के लिए गैस सिलेंडर का उपयोग नहीं कर सकते। ऐसा पाए जाने पर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। अब इससे इन व्यवसायिकों का रोजगार प्रभावित होने का मुद्दा उठाया जा रहा है।

 सर्वेक्षण किए बिना लोन दिया गया

अतिक्रमण विभाग द्वारा शहर में छोटे व्यवसायियों को लाइसेंस दिया जाता है। इसके साथ ही अनधिकृत व्यवसायियों पर कार्रवाई की जाती है। कोरोना महामारी के बाद पीएम स्वनिधि सिर्फ अधिकृत व्यवसायियों को दी जा रही थी। लेकिन पिछले वर्ष प्रशासन ने इस योजना में बदलाव करते हुए शहर के हर व्यवसायी को लोन देने का लक्ष्य रखा था। इसके लिए मनपा ने करीब 40 हजार छोटे विक्रेताओं को लोन देने का लक्ष्य रखा था। इसके साथ ही व्यवसायी अधिकृत है या अनधिकृत है इसका सर्वेक्षण किए बिना लोन दिया गया।

15 हजार व्यवसायियों को स्वनिधि के लिए पात्र किया

उसके बाद यह काम अतिक्रमण विभाग से मनपा के समाज कल्याण विभाग को सौंपा गया। इसके अनुसार समाज कल्याण विभाग ने शहर में सर्वेक्षण कर 35 हजार से अधिक छोटे विक्रेताओं का रजिस्ट्रेशन कराया। उनमें से करीब 15 हजार व्यवसायियों को स्वनिधि के लिए पात्र किया। कइयों को लोन भी वितरित किया गया। उसके बाद मनपा ने इन व्यवसायियों का फूड फेस्टिवल शहर विभिन्न भागों में आयोजित किया। इसमें व्यवसायियों ने फूड फेस्टिवल की जगह पर खाद्यपदार्थ बनाकर बेचे।