मावल लोकसभा सीट को लेकर शिवसेना-एनसीपी में ‘तनातनी’

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    पिंपरी: अभी लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) के लिए दो साल का समय है, लेकिन राज्य की महाविकास आघाडी सरकार में शामिल शिवसेना (Shiv Sena) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के बीच पिंपरी-चिंचवड़ शहर (Pimpri-Chinchwad City) के समावेश वाली मावल लोकसभा की सीट (Maval Lok Sabha Seat) को लेकर अभी से ‘तनातनी’ शुरू हो गई है। असल में एनसीपी (NCP) के एक नेता ने हालिया मावल लोकसभा की सीट पार्टी के युवा नेता औप उपमुख्यमंत्री अजित पवार के पुत्र पार्थ पवार (Parth Pawar) के लिए छोड़ने और मौजूदा सांसद श्रीरंग बारणे (MP Shrirang Barne) को राज्यसभा में भेजने की मांग की है। इस पर सांसद बारणे ने एनसीपी की ओर से शिवसेना को बेवजह खिजाने की कोशिश की जा रही है कहकर कड़ी नाराजगी जताई है।

    वहीं, शिवसेना के प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने कहा कि यह एनसीपी की आधिकारिक भूमिका नहीं है। बहरहाल एनसीपी की मांग से सियासी गलियारों में खलबली मच गई है। अब दोनों पार्टियों की ओर से वरिष्ठ स्तर पर इस मुद्दे पर क्या भूमिका अपनाई जाती है? इसकी उत्सुकता बढ़ गई है।

    ‘स्थानीय- बाहरी’ के प्रचार से पार्थ को हुआ था बड़ा नुकसान 

    सन 2019 में हुए लोकसभा के चुनाव में सांसद श्रीरंग बारणे ने एनसीपी के प्रत्याशी उपमुख्यमंत्री अजित पवार के पुत्र पार्थ पवार को करीबन पौने दो लाख वोटों से हराया। इस चुनाव में शिवसेना के ‘स्थानीय- बाहरी’ के प्रचार से पार्थ को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा। हालांकि विधानसभा चुनाव के बाद राज्य में सियासी पासे अचानक पलट गए और शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी दोनों भी दल कांग्रेस के साथ मिलकर महाविकास आघाडी के बैनर तले एकजुट हुए और राज्य में सरकार बनाई। सरकार में कांग्रेस का अपवाद छोड़ शिवसेना और एनसीपी के बीच अच्छा समन्वय नजर आता है। दोनों ही पार्टियों ने स्थानीय निकाय चुनाव गठबंधन में लड़ने के संकेत दिए हैं। 

    एनसीपी नेता के पोस्ट से मची खलबली

    हालांकि अब इन दलों में दरार पड़ती नजर आ रही है। इसमें चिंगारी का काम किया एनसीपी के नेता की फेसबुक पोस्ट ने। कल पार्थ पवार के जन्मदिन पर इस नेता अपने पोस्ट में कहा कि शिवसेना को चाहिए कि मावल की सीट पार्थ पवार के लिए छोड़ दे और मौजूदा सांसद श्रीरंग बारणे को राज्यसभा में भेजें। इस पोस्ट से सियासी गलियारों में खलबली मच गई है।

    श्रीरंग बारणे ने जताई सख्त नाराजगी

    इस मसले पर शिवसेना के सांसद और  प्रवक्ता सांसद संजय राउत ने कहा कि यह एनसीपी की आधिकारिक भूमिका नहीं है। पार्थ पवार राजनीति में काम कर रहे हैं, उनके राजनीतिक भविष्य का विचार उनकी पार्टी को करना चाहिए। एनसीपी की ओर से ऐसी कोई आधिकारिक भूमिका स्पष्ट नहीं की गई है। भविष्य में अगर ऐसा कोई प्रस्ताव एनसीपी की ओर से मिला तो उस पर हमारे वरिष्ठ नेताओं से चर्चा करेंगे। बहरहाल मावल लोकसभा की सीट से लगातार दो बार सांसद चुने गए श्रीरंग बारणे ने इस पर कड़ी नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि दरअसल, किसने, क्या मांग की है? मुझे यह भी नहीं पता कि मांग करने वाले सदस्य एनसीपी के कौन हैं या पार्टी में उनका कद क्या है। हालांकि लोकसभा चुनाव को दो साल से ज्यादा दूर हैं। ऐसे में यह मांग की गई या कराई गई? इसका पता लगाया जाना चाहिए। हमने 2019 के चुनाव में पहले ही कहा था कि मावल लोकसभा क्षेत्र में मैं 1.5 से 2 लाख से ज्यादा वोटों से जीतूंगा। अगर आप मावल लोकसभा क्षेत्र के बारे में विचार करें तो एक विधानसभा को छोड़कर, मावल लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में एनसीपी के पास कोई ताकत नहीं बची है। उनकी ताकत सीमित है। हालांकि यह पता लगाना होगा कि क्या एनसीपी जानबूझकर ध्यान बंटाकर शिवसेना को खिजाने की कोशिश कर रही है? आज महाविकास एक नेता के रूप में सत्ता में हैं। जब आज हम सत्ता में हैं, तो शिवसेना पार्टी के मेरे सभी शिवसैनिक कार्यकर्ता सत्ता में होंगे, यह भावना होनी चाहिए। मगर एनसीपी से उन्हें किस तरह का बर्ताव मिलता है? यह आप भी देख रहे हैं। 

    दो साल में कई बदलाव होंगे

    सांसद बारणे ने यह भी कहा कि सत्ता से सबसे ज्यादा फायदा एनसीपी को ही मिल रहा है। महाविकास आघाड़ी सरकार शिवसेना को सत्ता से बेदखल करने या शिवसेना को नुकसान पहुंचाने का काम कर रही है और यह विवाद इसका हिस्सा हो सकता है। हालांकि लोकसभा चुनाव को दो साल दूर हैं। दो साल में कई बदलाव होंगे। सांसद बारणे ने कहा कि आज इस मामले पर चर्चा करना उचित नहीं समझता। उन्होंने यह भी कहा कि इसे महाविकास आघाड़ी कहना और दूसरे दलों को नीचा दिखाना ठीक नहीं है।