नई दिल्ली/मुंबई: उत्तरप्रदेश (Uttar Pradesh) के अयोध्या (Ayodhya) में आज यानी गुरूवार 25 जनवरी को पौष पूर्णिमा पर श्रुद्धालुओं की आस्था का सैलाब देखने को मिल रहाहै। जानकारी दें कि, प्रभु श्रीराम की नगरी में राम मंदिर के दर्शन के लिए भारी भीड़ के मद्देनजर भव्य मंदिर में दर्शन की टाइमिंग को फिलहाल बढ़ा दिया गया है। वहीँ इससे पहले बाल रूप राम भगवान के लिए महाराष्ट्र से बीते बुधवार को 80Kg की एक खास तलवार भेजी गई है।
रामलला के लिए पहुंची तलवार
जी हां, रामलला के लिए देश दुनिया से उपहार के आने का सिलसिला बदस्तूर जारी है। वहीं प्राचीन अस्त्र शस्त्रों के निर्माता निलेश अरुण अपने साथियों के साथ बीते बुधवार को मुंबई से ‘नंदक खड़ग’ लेकर अयोध्या पहुंचे और श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को शुद्ध सोने से निर्मित ‘नंदक खड़ग’ को भेंट किया। जानकारी दें कि, इस तलवार का नाम ‘नंदक खड़ग’ है। उल्लेखनीय है कि निलेश अरुण के पूर्वज छत्रपति शिवाजी महाराज की सेना के लिए हथियारों और आयुध का निर्माण किया करते थे।
#WATCH | Ayodhya, Uttar Pradesh: A 7 feet 3 inches long sword weighing 80 kg has been delivered to Lord Ram Lalla by devotees from Maharashtra. (24.01) pic.twitter.com/GfCkdRKPsg
— ANI (@ANI) January 25, 2024
क्या है ‘नंदन खड़ग’ की विशेषता
निलेश अरुण के अनुसार ‘नंदन खड़ग’ 7 फुट 3 इंच का है। इसका वजन करीब 80 किलो है। इसे पीतल और सोने से निर्मित गया है। हालांकि इसकी लागत और इसमें कितना सोना लगा है इसकी उन्होंने कोई जानकारी नहीं दी। उनके अनुसार, श्री रामजी के प्रति उनकी अगाध श्रद्धा है, जिसके कारण उन्होंने ‘नंदन खड़ग’ का निर्माण किया है। उन्होंने यह भी कहा कि, सुप्रीम कोर्ट ने जब राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया था, तभी उन्होंने यह संकल्प लिया था कि राम मंदिर बनने के बाद वे राम जी को यह ख़ास ‘खड़ग’ भेंट करेंगे।
तलवार का नाम नंदक ही क्यों
इस बाबत निलेश ने जानकारी दी कि पुराणों में एक कथा है कि, ब्रह्मा जी ने सुमेर पर्वत के शिखर पर एक महत्वपूर्ण यज्ञ किया था। तभी उन्हें वहां एक ‘लौह दैत्य’ को देखा। जिसे देखकर ब्रह्मा जी चिंतित हुए, उन्हें लगा कि, यह दैत्य मेरे यज्ञ में विघ्न डाल सकता है। बाद में ब्रह्मा जी के चिंतन करते ही यज्ञ की ‘अग्नि’ से एक महा बलवान पुरुष प्रकट हुआ और उसने ब्रह्मा जी की वंदना की। देवताओं ने भी इस ‘बलशाली’ का हर्षित अभिनंदन किया और वही ‘नंदक’ कहलाया। देवताओं के अनुरोध पर श्री हरि विष्णु ने उस तलवार को धारण किया। उस तलवार के प्रहार से लौह दैत्य के एक-एक अंग हटे और वह मारा गया।
आज पौष पूर्णिमा
इधर रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद बीते 25 जनवरी 2024 को पहला महास्नान था और इस दौरान वहां भक्तों ने सरयू में आस्था की डुबकी लगाई थी। ‘अयोध्या मंदिर’ के उद्घाटन के बाद यह वहां की यह पहली पौष पूर्णिमा है। वैसे तो इस मौके पर उत्तरप्रदेश के काशी और प्रयागराज व उत्तराखंड के हरिद्वार में गंगा स्नान के लिए भीड़ उमड़ती है पर इस बार अयोध्या में भी पुण्य स्नान के लिए भक्त भारी संख्या में पहुंचे हैं।