Ambernath City

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अंबरनाथ: गांव से शहर और अब महानगर बनने की ओर अग्रसर अंबरनाथ शहर (Ambernath City) का विकास तेज गति से हो रहा हैं। चाल के स्थान पर अब 15 से 24 मंजिल की गगनचुंबी इमारतें भी बनने लगी हैं। वहीं छोटे से गांव से शहर बनने का साक्षी स्थानीय बुवापाड़ा (Buwapada) परिक्षेत्र आज भी शहर में गांव ही लगता हैं। तकरीबन 20 से 25 हजार लोग इस बस्ती में रहते है। हिंदी भाषी बहुल बस्ती बुवापाड़ा में रहने वाले लोगों को बुवापाड़ा अपने ‘मुलुक’ (Village) में रहने का आभास कराता है।  

बुवापाड़ा परिसर में रहने वाले अधिकतर हिंदी भाषी हैं, इसलिए शहर में इसे ‘मिनी उत्तर प्रदेश’ (Mini Uttar Pradesh) भी कहते हैं। यहां रहने अधिकतर लोगों का पहनावा एक है, उनकी भाषा, उनकी संस्कृति भी समान हैं। उत्तर भारत की तरह यहां महिला अपने बड़ो के सामने सर ढकती हैं, बच्चे अपने से बड़ो के पैर छूते दिखाई दे सकते हैं। 

त्योहार भी धूमधाम से मनाते हैं

इस बस्ती में होली का अपना मजा और आनंद होता है। फाग, बेलवईया गाए जाते हैं। बृज की तर्ज पर होली खेली जाती हैं। सार्वजनिक गणेश उत्सव हो या दीवाली अथवा छठ पूजा इन पर्वो को यहां के लोग बड़े ही धूमधाम से मनाते आए हैं। बस्ती में जो किराना, दर्जी, नाई की दुकानें है उनमें ग्राहक और सेठ आपस में एक भाषा और आपस में ठेठ भोजपुरी में बात करते देखे और सुने जा सकते हैं। 

श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन मंदिर में विशेष पूजा अर्चना 

कुछ कमाने और अपने सपनों को पूरा करने के लिए गांव को छोड़कर मुंबई में कुछ कर गुजरने की हसरत लेकर दशकों पहले यहां आए कई परिवार अब अन्य जगह रहने चले गए। यहां रहते अनेक लोगों आर्थिक और सामाजिक प्रगति की, पर वह भी अपने बुवापाड़ा को नहीं भूलते है। त्यौहार के मौकों पर बुवापाड़ा की जमीन के मालिक महंत श्यामल दास गुरु महंत कमलदास दास के गुरु द्वारा स्वंय पूजा अर्चना के लिए 100 साल पहले मंदिर बनाए गए श्री हनुमान मंदिर में पूजा और दर्शन करने के लिए अवश्य आते हैं। श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन मंदिर में विशेष पूजा अर्चना होती है और भंडारे का आयोजन भव्य स्तर पर किया जाता है। हनुमान जयंती भी जोरदार तरीके से मनाई जाती है। जिसमें हिंदी भाषी बढ़चढ़ कर शामिल होते है। 

हो रहा क्षेत्र का विकास

बुवापाड़ा की जमीन महंत की निजी जमीन होने के कारण यहां अन्य वार्डो की तरह काम नहीं हो सका है। साल 2015 में हुए नपा के चुनाव में कांग्रेस के सुरेंद्र यादव और कांग्रेस की ही श्रुति मनोज सिंह चुनाव जीती हैं। इन्होंने अपने प्रयास से सड़कें बनवाई। पानी की तकलीफ दूर करने का प्रयास किया और शिवसेना के प्रमोद कुमार चौबे ने विधायक डॉ. बालाजी किणीकर की विधायक निधी से सड़क और जलापूर्ति की नई लाइन डालने का काम किया है। 

शुरुआती दौर में रोजी-रोटी की तलाश में आने वालों के सामने सर छुपाने यानि रहने के लिए घर की एक मुख्य समस्या होती थी जो आज भी है। हमारे गुरु बंधु ने हमारे पूर्वज गुरु की बुवापाड़ा की इस निजी जमीन पर अस्थायी तौर पर लोगों को सिर्फ मानवता के आधार पर मामूली भुई भाड़ा लेकर उन्हें आसरा दिया है। सभी खुशहल रहे यही प्रभु से प्रार्थना है। बुवापाड़ा के श्री हनुमान मंदिर की पूजा पाठ की जिम्मेदारी नियमित रूप से महंत अभिषेक दास गुरु महंत श्यामल दास संभाल रहे है।

-महंत तेजनारायण दास गुरु महंत श्यामलदास, बुवापाड़ा, अंबरनाथ

मेरी उम्र 70 साल है, बचपन से ही बुवापाड़ा में रह रहा हूं। हजारों लोगों को बुवापाड़ा में रहने का ठिकाना मिला है। मेरे पिताजी मंदिर के महंतजी को साल में 24 रुपए किराया देते है। मैं आभारी हूं की आज तक हम बुआपाड़ा में है। सुविधा भले कम है, लेकिन यहां सुकून है। मंदिर के महंत जी का आशीर्वाद है। हम शांति पूर्वक रह रहे है।

-भगवान सिंह परदेशी, निवासी बुवापाड़ा