Clouds of crisis on powerloom industry in Bhiwandi

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    भिवंडी : वैश्विक कोरोना संकटकाल (Corona Crisis) शुरुआत से अभी तक पावरलूम उद्योग (Powerloom Industry) पटरी पर नहीं लौट सका है। यार्न, बिजली (Electricity) की कीमतों में भारी इजाफा होने से कपड़ा व्यापारी (Textile Traders) तंगहाली झेल रहे है। पावरलूम उद्योग की हालत आमदनी अठन्नी खर्चा रुपैया हो गई है।यार्न की कीमतों में कालाबाजारी और बढ़ती बिजली दरों और मजदूरी में हुए भारी इजाफे की वजह से पावरलूम मालिक आर्थिक रूप से कंगाल हो चुके है।

    भिवंडी पावरलूम नगरी से प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में पावरलूम मशीनें कौड़ी के भाव में भंगार में बेची जा रही है। पावरलूम मालिकों का कहना है कि करीब 7 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मुहैया कराने वाले पावरलूम उद्योग की तरफ केंद्र और राज्य सरकार का कोई ध्यान नहीं होने से उद्योग की हालत बदहाल हो गई है। लाखों लोगों को रोजगार देने वाला पावरलूम उद्योग अपनी आखिरी सांसें गिन रहा है। पावरलूम उद्योग से जुड़े तमाम संगठनों ने सरकार से पावरलूम उद्योग को संकट से उबारने के लिए यार्न की कीमतें स्थिर रखने और बिजली दरों पर नियंत्रण  किए जाने की गुहार लगाई है।

    पावरलूम कारखानों पर अब ताले लगना शुरू

    गौरतलब है कि पिछले 1 वर्ष से सिंथेटिक और कॉटन यार्न की कीमतों में तेजी से भारी इजाफा होने से कपड़ा व्यापारियों को ग्रे क्लॉथ भारी नुकसान में बेचना पड़ रहा है.सिंथेटिक, कॉटन यार्न की कीमतों में भारी वृद्धि होने के बावजूद ग्रे कपड़े के भाव में कोई वृद्धि नहीं होने से कपड़ा व्यापारियों में मायूसी फैली है. पावरलूम उद्योग में व्याप्त भयंकर मंदी की वजह से पर प्रांतीय मजदूर भी कमोबेश मुलुक की राह पकड़ने लगे हैं। अनलॉक की शुरुआत के उपरांत  मजदूरों के भारी अभाव में शुरू हुआ कपड़ा उद्योग भारी मंदी की चपेट में आकर दम तोड़ने लगा है। पावरलूम कारखानों पर अब ताले लगना शुरू हो गए है।

    आमदनी अठन्नी खर्चा रुपैया

     पावरलूम उद्योगपति मुनिराज यादव, श्रीराज सिंह,  हाजी वल्ली सेठ, वसंत परमार, नरेंद्र सिंह,  मो.हारून अंसारी, आदि के अनुसार, कपड़ा उद्योग बेहद मंदी के दौर से गुजर रहा है। सिंथेटिक और कार्टन यार्न का भाव सेंसेक्स की तरह निरंतर बढ़ता ही जा रहा है। पिछले 6 माह में ही 30 से 40% तक सभी क्वालिटी का यार्न महंगा हो गया है। यार्न के भाव की अपेक्षा  तैयार कपड़ा 1-2 रुपये मीटर घाटे में बेचना पड़ रहा है जिससे काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। कपड़ा घाटे में बिकने की वजह से पावरलूम कारखानों का बिजली बिल बकाया हो रहा रहा है। सप्ताह में 2-3 दिन पावरलूम कारखानों को बंद रखना मजबूरी हो गई है।  

    पावरलूम बंद होने से मजदूर जा रहे मुलुक

    पावरलूम उद्योग में छाई भयंकर मंदी की वजह से परप्रांतीय मजदूर भारी संख्या में फिर से मुलुक जाने लगे हैं। भारी मंदी से परेशान पावरलूम मजदूर रामू पाल, हेमंत वर्मा, शिवपाल यादव आदि पावरलूम मजदूरों का कहना है कि भिवंडी पावरलूम उद्योग में कब तेजी आती है और कब मंदी आती है पता ही नहीं लगता है। भिवंडी पावरलूम उद्योग में छाई भयंकर मंदी की वजह से लूम कारखाने बंद हो रहे हैं जिससे घर जाना मजबूरी हो गई है।

    केंद्र सरकार पावरलूम उद्योग को कर रही नजरअंदाज

    भिवंडी शांतिनगर पावरलूम फेडरेशन अध्यक्ष हाजी मन्नान सिद्दीकी का कहना है कि, पावरलूम उद्योग को संकट से उबारने के लिए केंद्र सरकार को नई टेक्सटाइल पॉलिसी घोषित करने की जरूरत है नई टेक्सटाइल पॉलिसी में यार्न की कीमतों को स्थिर रखने सहित बिजली दरों पर नियंत्रण बेहद आवश्यक है। पावरलूम उद्योग को संकट से निजात दिलाने के लिए सरकार को विशेष पैकेज देने की जरूरत है। 

    यार्न की कीमतों में करीब 1 माह तक रहे स्थिर

    उद्योगपति महेंद्र प्रताप सिंह का कहना है कि टेक्सटाइल मंत्रालय को यार्न की कीमतों को करीब 1 माह तक स्थिर रखे जाने के लिए कड़क कदम उठाना चाहिए ताकि पावरलूम उद्योग से जुड़े कपड़ा व्यापारी घाटे में कपड़ा बेचने से बच सकें। पावरलूम उद्योग की खुशहाली के लिए बिजली दरों की कीमतों को नियंत्रित करना चाहिए। 5 वर्षों से घोर संकट के दौर से गुजर रहा है। कपड़ा उद्योग को बचाने के लिए सरकार को सार्थक कदम उठाना चाहिए।