Bombay High Court instructions firecrackers on Diwali 2023
उच्च न्यायालय ने जताई नाराजगी
3 सदस्यीय आयोग का गठन
रिपोर्ट पेश करने का आदेश
ठाणे: मुंब्रा-कौसा की आबादी लगातार बढ़ रही है लेकिन मनपा (Thane Municipal Corporation) की तरफ से अस्पताल की सुविधा उपलब्ध नहीं है। मनपा प्रशासन ने 15 साल पहले कौसा (Kausa) में 100 बेड का अस्पताल (100 bed hospital) बनाने का निर्णय लिया था। इसके लिए वर्क आर्डर भी जारी किया गया लेकिन अभी तक अस्पताल का निर्माण नहीं हो सका है। इसको लेकर मुंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) ने ठाणे मनपा पर नाराजगी जताई है। अदालत ने अस्पताल निर्माण में हुई देरी के लिए तीन सदस्यीय आयोग का गठन किया है। जो 8 नवंबर को अपनी रिपोर्ट अदालत में पेश करेगा।
10 करोड़ की निधि हो चुकी है मंजूर फिर भी नहीं बना अस्पताल
कौसा में 100 बेड के अस्पताल निर्माण का निर्णय वर्ष 2008 में लिया गया था। उस समय 10 करोड़ रुपये की निधि मंजूर की गयी थी। अस्पताल के लिए कौसा में 41 हजार 800 वर्ग मीटर जगह आरक्षित की गयी थी। वर्ष 2014 में वर्क आर्डर जारी किया गया। 24 महीने में अस्पताल निर्माण करने की शर्त रखी गयी। बाद में मनपा प्रशासन ने अस्पताल में शव गृह, ऑपरेशन थियेटर एवं कैंटीन बनाने का निर्णय लिया। लेकिन अभी तक अस्पताल निर्माण का कार्य पूरा नहीं हुआ है। साथ ही खर्च बढ़ कर 122 करोड़ रुपये हो गया है।
कोर्ट ने मनपा को लगायी फटकार मुंब्रा-कौसा और आस पास के इलाके में मनपा का अस्पताल नहीं होने की वजह मरीजों को इलाज के लिए कलवा अस्पताल ले जाना पड़ता है। जहां पहुंचने के लिए कभी कभी एक घंटे से भी अधिक समय लग जाता है। इस संदर्भ में एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ़ सिविल राइट्स संस्था की तरफ से मुंबई उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की गयी है। जिस पर पिछले दिनों मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय एवं न्यायाधीश आरिफ डॉक्टर की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई हुई। ठाणे मनपा ने अदालत में स्वीकार किया कि एक बड़ी आबादी के लिए चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं है। अदालत ने नाराजगी जताते हुए कहा कि संविधान के तहत प्रत्येक नागरिक को सस्ती चिकित्सा सुविधा प्राप्त करने का अधिकार है। इस अधिकार से उन्हें वंचित नहीं किया जा सकता है।
कोर्ट ने मनपा से पूछा सवाल 8 नवंबर तक मांगी रिपोर्ट
अस्पताल का निर्माण कार्य अभी तक पूरा क्यों नहीं हुआ, देरी के कारण का पता लगाने के लिए अदालत ने तीन सदस्यीय आयोग का गठन किया है। जिसमें जेजे अस्पताल के डॉक्टर, सार्वजनिक निर्माण विभाग के अभियंता एवं एड.मीनाज ककालिया का समावेश है। अदालत ने 8 नवंबर तक रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है।
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