ठाणे : आज के इस अत्याधुनिक युग में बेटे मानवता को शर्मसार (Shamed) करते नजर आ रहा है। क्योंकि कुछ कलयुगी बेटे (Son) जब अपने माता-पिता (Parents) की सेवा नहीं कर पाते तो उन्हें आश्रम या घर से बाहर का रास्ता दिखा रहे हैं। यह ठाणे पुलिस आयुक्तालय (Thane Police Commissionerate) के अंतर्गत दर्ज शिकायतों में खुलकर सामने आया है। ठाणे पुलिस आयुक्तालय की सीमा में जनवरी 2019 से दिसंबर 2022 तक कुल 161 बुजुर्ग अपने बच्चों की शिकायत लेकर पुलिस के पास पहुंचे। जिन्होंने पालन पोषण कर अपने बच्चों को काबिल बनाया वहीं बच्चे अपने माता पिता को घर का रास्ता दिखाने का काम कर रहे हैं।
बता दें कि कुछ बच्चे माता-पिता की सेवा नहीं करते और उनसे छुटकारा पाने के लिए उन्हें प्रताड़ित करते हैं। बुजुर्ग माता पिता दवा, पानी और कपड़ों की जरूरत को कैसे पूरा करें यह उनके लिए परेशानी का कारण बन रहा है। ठाणे जिले में भी कुछ बच्चे अपने बूढ़े मां-बाप से परेशान होकर उन्हें प्रताड़ित करते हैं उनका पैसा, गहना हड़पकर उन्हें घर के बाहर का रास्ता दिखा देते हैं। बेघर होने के कारण 161 बुजुर्गों ने वर्ष 2019 से दिसंबर 2022 तक पुलिस स्टेशनों में अपने बेटों के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई है। जिसमें से केवल 42 मामलों की सुनवाई होना बाकी है जब कि 119 मामलों की सुनवाई हो चुकी है।
2007 में बनाया गया था कानून
बुजुर्गों के अधिकारों के लिए कानून भी बनाए गए हैं। ऐसा ही एक कानून है- सीनियर सिटीजन एक्ट 2007, जो बुजुर्गों के अधिकारों की रक्षा करता है और उन्हें पावरफुल बनाता है। आज वर्ल्ड सीनियर सिटीजन डे है, इस मौके पर जानिए कब और कैसे इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। देश में बुजुर्गों की आबादी बढ़ रही है। वर्तमान में देश में 13.8 करोड़ बुजुर्ग हैं। उने के लिए कई तरह की सुविधाएं दी जा रही हैं और योजनाएं चलाई जा रही हैं। बुजुर्गों के अधिकारों के लिए कानून भी बनाए गए हैं। ऐसा ही एक कानून है- सीनियर सिटीजन एक्ट 2007, जो बुजुर्गों के अधिकारों की रक्षा करता है और उन्हें पावरफुल बनाता है। जिनकी उम्र 60 साल या उससे अधिक हैं वो सीनियर सिटीजन एक्ट के दायरे में आते हैं, यानी जरूरत पड़ने पर इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
यहाँ करें शिकायत
ठाणे समाज कल्याण विभाग द्वारा नई शुरू की गई हेल्पलाइन एल्डर लाइन- 14567 पर बुजुर्ग अपने ऊपर हो रहे अत्याचार की शिकायत कर सकते हैं। इस हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करने के बाद बुजुर्गों को आवश्यक मदद की जाती है। वहीं बच्चों से मासिक भरण-पोषण भत्ते का प्रावधान किया जाता है।