इलाज के अभाव में मरीज की मौत

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किसी भी अस्पताल के डॉक्टर इलाज करने के लिए नहीं हुए तैयार

उल्हासनगर. उल्हासनगर में एक कोरोना संदिग्ध बुजुर्ग रोगी की असामयिक इलाज के कारण मृत्यु हो गई. चौंकाने वाली बात यह है कि मरीज को सांस लेने में दिक्कत होने के बाद उसके परिजन उसे तीन घंटे से अधिक समय तक शहर के इस अस्पताल से उस अस्पताल ले गए लेकिन किसी ने उसे भर्ती नहीं किया जिस कारण उस व्यक्ति की मौत हो गई. इस घटना को लेकर अब नाराजगी बढ़ने लगी है.

मृतक का नाम अनिल रामनानी है. अनिल रामनानी अपने परिवार के साथ उल्हासनगर के सत्रह सेक्शन क्षेत्र में रह रहे थे. अनिल रामनानी को सोमवार की आधी रात को सांस लेने में तकलीफ होने लगी.  उसके परिजन उन्हें नजदीकी अस्पताल ले गए. हालांकि उन्हें उस अस्पताल से दूसरे अस्पताल ले जाने की सलाह दी जाती रही, बेटा अपने पिता की जान बचाने की उम्मीद को लेकर पूरे शहर के अस्पताल के चक्कर लगाए किसी भी डॉक्टर ने उन्हें भर्ती नहीं किया आखिर 3 घंटे बाद यह परिवार डोंबिवली स्थित ममता अस्पताल पहुंचा.  लेकिन तब तक अनिल की मौत हो चुकी थी. अनिल रामनानी के बेटे आशीष रामनानी ने सरकारी सिस्टम पर गुस्सा व्यक्त किया है.

उन्होंने अपने पिता की मृत्यु के लिए महाराष्ट्र सरकार, उल्हासनगर मनपा और उल्हासनगर के प्रतिष्ठित अस्पतालों को दोषी ठहराया है. उनका परिवार उन्हें आधी रात से लेकर भोर तक लगभग तीन से चार घंटे लेकर घूमता रहा था.  सरकारी अस्पतालों में सुविधाएं नहीं है.  निजी अस्पताल मरीजों को स्वीकार नहीं करते है. आम आदमी क्या करेगा और उल्हासनगर में कब तक यह परेशानी जारी रहेगी. अनिल के परिवार ने सवाल उठाया है कि उल्हासनगर मनपा कब सुध लेगी. कोविड कोरोना परीक्षण से पहले रोगी को अस्पताल में भर्ती नहीं करता है. रामनानी के एक  रिश्तेदार आडवाणी ने कहा कि दूसरे अस्पताल ने मरीज को इस आधार पर स्वीकार नहीं किया कि वह संदिग्ध है जब उसका इलाज शुरू करना चाहिए था. पिछले एक पखवाड़े में कोविड के संदिग्ध रोगियों के इलाज के लिए महानगरपालिका ने कोई आधुनिक इलाज की व्यवस्था नहीं कि है. नतीजा इलाज के अभाव में मरीज अपनी जान गंवा रहे हैं. यह मामला कई बार मनपा प्रशासन के सामने लाया जा चुका है, लेकिन तब से कोई कदम नहीं उठाया गया है.

इस घटना को निंदनीय बताते हुए उल्हासनगर मनसे के शहर अध्यक्ष बंधु देशमुख ने कहा कि निजी अस्पतालों में तो बिल्कुल लूट चालू है. इंसानियत बची नहीं है हड्डी के इलाज कराने वाले से शहर के डॉक्टर कोरोना की रिपोर्ट मांग रहें है, वही टीओके के प्रवक्ता कमलेश निकम ने  मनपा प्रशासन से मांग की है कि भविष्य में यदि कोई डॉक्टर मरीज को लौटाता है तो उस अस्पताल का लाइसेंस रद्द कर दिया जाना चाहिए.