Vasai Ro Ro boat service

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वसई: तेंदुए (leopard) की दहशत की वजह से शाम 6 बजे के बाद रोरो नाव सेवा (Ro Ro boat service) बंद करने की अपील की गई है। पिछले 15 दिनों से वसई (Vasai) के किला क्षेत्र में तेंदुए के आतंक से इलाके के नागरिकों का जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। तेंदुए की समस्या का समाधान ढूंढने के लिए शनिवार को प्रांतीय अधिकारियों की बैठक में स्थानीय लोगों ने गुस्सा जताया है। इस दौरान, पुरातत्व विभाग और वन विभाग ने महाराष्ट्र मेरीटाइम बोर्ड से तेंदुए के कारण शाम 6 बजे के बाद रोरो नाव सेवा बंद करने का अनुरोध किया है। 

29 मार्च को वसई के ऐतिहासिक किले में एक तेंदुआ पाया गया था। इसके बाद से नागरिकों में डर का माहौल है, लेकिन अभी तक तेंदुए का पता नहीं चल सका है। इस समस्या के समाधान के लिए शनिवार को वसई उपविभागीय कार्यालय में प्रांत अधिकारी शेखर घाडगे ने एक बैठक आयोजित किया। जिसमें तहसीलदार डॉ. अविनाश कोष्टी, वन विभाग के मांडवी वन परिक्षेत्र अधिकारी श्वेता आडे, पुरातत्व विभाग के कैलास शिंदे, वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक रंजीत आंधले, रोरो सेवा कर्मचारी, कोलियुवा शक्ति एसोसिएशन के पदाधिकारी सहित किलाबंदर-पचुबंदर के ग्रामीण उपस्थित थे, लेकिन इस बैठक में देखा गया कि तेंदुए को पकड़ने में सफलता नहीं मिलने पर नागरिक आक्रामक हो गये। 

किले में तेंदुए की वजह से इस इलाके का जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है। कोली युवा शक्ति संगठन के मिल्टन सउदिया ने आरोप लगाया है कि ऐसी स्थिति के बावजूद वन विभाग की ओर से तेंदुए को पकड़ने के प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। अब तेंदुए को लेकर कई तरह की आशंकाएं पैदा होने लगी हैं कि यह तेंदुआ कोई पालतू तो नहीं है? वन विभाग ने क्या सचमुच तेंदुए का पता लगाने के लिए पिंजरे और ट्रैप कैमरे लगाए हैं? तेंदुए के कारण इस क्षेत्र में नागरिकों की आवाजाही को स्थायी रूप से रोकने की कोई चाल नहीं है? जैसे कई गंभीर सवाल बैठक के दौरान संजय कोली द्वारा प्रस्तुत किए गए। 

वसई कांग्रेस के वसई विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप वर्तक ने आरोप लगाते हुए कहा कि 16 दिन बाद भी वन विभाग तेंदुए को नहीं पकड़ सका. जो वन विभाग की असफलता को दर्शाता है। वर्तक ने यह भी कहा कि क्या वन विभाग लोगों के जान जाने का इंतजार कर रहा है। वसई किले में तेंदुआ जैसा खूंखार जानवर घूम रहा है और वन अधिकारी वसई से दूर नजर आ रहे हैं। क्या उन्हें नागरिकों के जान की कोई परवाह नहीं है। इसके बावजूद वन विभाग की ओर से ग्रामीणों को कोई ठोस जवाब नहीं दिया जाता है। नाही इस क्षेत्र के नागरिकों पर भरोसा किया जाता है। नागरिकों द्वारा सवाल किया जा रहा है कि रो रो सेवा, ताड़ी उतारने वालों और अन्य को क्षेत्र में प्रवेश करने की अनुमति है, लेकिन स्थानीय निवासियों को जाने पर प्रतिबंध है. आखिर यहां के नागरिक कैसे रहें। 

वसई उपमंडल अधिकारी शेखर घाडगे ने सुझाव दिया है कि तेंदुए के व्यवहार से कई समस्याएं उत्पन्न होने लगी हैं। वन विभाग को उसे पकड़ने के लिए अपने प्रयास को बढ़ाना चाहिए।  घाडगे ने यह भी कहा कि हमें अपने स्तर से जो भी मदद की जरूरत होगी हम वो देने को तैयार हैं। मांडवी वनपरीक्षेत्र अधिकारी श्वेता आडे ने कहा कि यह तेंदुआ तुंगारेश्वर जंगल से इस इलाके में आया है। उसे पकड़ने के लिए आवश्यक स्थानों पर ट्रैप कैमरे, पिंजरे लगाए गए हैं, लेकिन तेंदुए की सैर के दौरान लगातार मानव यातायात, रो रो सर्विसेज के चलते उसे पकड़ने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। वन विभाग और पुरातत्व विभाग ने महाराष्ट्र मेरीटाइम बोर्ड को पत्र लिखा है कि तेंदुए की मौजूदगी के कारण शाम 6 बजे के बाद रो रो सेवा बंद कर दी जानी चाहिए।