वर्धा. बाल संगोपन गृह में संभालने रखे नन्हें बालक को उसके माता और पिता को सौंपने पुलिस मित्र के प्रयास रंग लाए़ बच्चे को लेने के बाद माता और पिता ने राहत जताते हुए पुलिस मित्र का आभार माना. वहीं संपूर्ण प्रक्रिया में बाल कल्याण समिति की भूमिका पर पुलिस मित्र सुनीता तड़स ने संदेह जताते हुए रोष जताया. पवनार स्थित एक दंपति ने तीसरे पुत्र को जन्म दिया़ उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर थी़ बच्चे के जन्म के बाद महिला की मानसिक हालत बिगड़ गई थी़ इसलिए पति व परिजन बालक को लक्ष्मीनगर स्थित संत गाड़गेबाबा बाल संगोपन गृह में रखने ले गए़ जहां बाल कल्याण समिति की प्रक्रिया के बाद बालक को वहां रखा गया़ परंतु दो माह के भीतर वापस ले जाने की शर्त थी़ इसलिए महिला की तबियत में सुधार होने पर दंपति 60 दिनों के भीतर ही बच्चे को वापस लेने संगोपन गृह पहुंचे.
बालक को लौटाने में कर रहे थे टालमटोल
परंतु उपस्थितों ने बालक को लौटाने की बजाए उन्हें बालकल्याण समिति के पास जाने कहा़ वहां पहुंचने पर उन्हें टालमटोल जवाब दिये गए़ इससे परेशान दंपति ने पुलिस मित्र सरिता भगत से संपर्क किया़ उनके माध्यम से सभी पुलिस मित्र संगठन की राज्य उपाध्यक्ष सुनीता तड़स से मिले और आपबीती कथन की.
पश्चात सुनीता तड़स, सरिता भगत, प्रफुल उचके, योगेश्वरी चावरे, चित्रा ठाकुर धनश्री भांडेकर व अन्य पुलिस मित्र पूछताछ करने के लिए बालकल्याण समिति कार्यालय में पहुंचे़ जहां उन्हें टालमटोल जवाब दिये गए़ संगोपन गृह में भी यही रवैया रहा़ सुनीता तड़स ने इसकी सूचना सांसद रामदास तड़स को दी़ उनके संपर्क करने पर बालकल्याण समिति का यही रवैया रहा.
समिति ने थाने में शिकायत देने की दी थी धमकी
दंपति व पुलिस मित्र को थाने में शिकायत देने की भी धमकी दी गई़ आखिरकार सांसद तड़स ने समिति के अध्यक्ष से संपर्क कर सख्त रवैया अपनाया़ वरिष्ठस्तर पर प्रकरण के बारे में सूचना की़ आखिरकार समिति ने शनिवार को पुलिस मित्रों को कार्यालय में आने कहा़, परंतु अवकाश होने से काम नहीं हुआ़ पश्चात सोमवार की दोपहर 12 बजे बुलाया गया, जहां दिनभर चली प्रक्रिया के बाद करिब शाम 5.30 बजे 7 माह के बालक को बालकल्याण समिति ने उसके माता और पिता के हवाले कर दिया़ बच्चे को पाने के माता और पिता के चेहरे खुशी खिल गए.
बालकल्याण समिति को करें बरखास्त
प्रकरण में बालकल्याण समिति की भूमिका संदेहास्पद रही़ नियमानुसार दंपति अपने बच्चे को लेने के लिए बाल संगोपन गृह में पहुंची थे. परंतु उन्हें सहयोग करने की बजाए टालमटोल रवैया अपनाया जा रहा था़ जनप्रतिनिधि के साथ भी समिति की भूमिका अशोभनिय रही़ इस संपूर्ण प्रकरण में विस्तृत जांच कर उपरोक्त समिति बरखास्त की जाए.
-सुनीता तड़स, राज्य उपाध्यक्ष-पुलिस मित्र संगठन.