- बैंक व्यवस्थापन मंडल की मनमानी से किसान तंग
आर्वी. स्टेट बैंक आफ इंडिया की शाखा में अधिकारियों के मनमानी कामकाज से किसान परेशान है़ किसान बेहाल हो रहे है़ं किसानों को कर्ज देनेवाली स्टेट बैंक में किसानों को 15-15 दिनों तक कर्ज मंजूरी नहीं दी जा रही है. दिनभर लाइन में खड़े रहने के बावजूद कोई न कोई कारण दिखाकर उसकी पूर्ति करने के लिए वापस भेज दिया जाता है़ सुबह 10 बजे से दोपहर 1 बजे तक लाइन में खड़े रहने के बाद उन्हें टोकन दिए जाते है़ं पश्चात बैंक में प्रवेश मिलता है़ उस पर उन्हें बैंक के अंदर भी खड़े रखा जाता है़ कुर्सियों पर बैठने की इजाजत नहीं है़ कागज कम रहने पर या लाइन में न रहने पर उन्हें वापस भेज दिया जाता है. कर्ज के लिए जरूरी कागजात की सूची बोर्ड पर लगी है़ उसी तरह कागजात नहीं लगाने पर कर्मचारी उसे दूसरे दिन आने की बात कहकर वापस भेज देते हैं.
नो ड्यू प्रमाणपत्र जरूरी
किसानों के संयम का तथा उनकी मजबूरी का पूरा फायदा बैंक उठा रही है़ 20 साल से सेवा सहकारी संस्थाएं बंद है़ यह बात बैंक को तथा प्रशासन को मालूम है़ सेवा सहकारी संस्था 20 साल से किसानों को कर्ज भी नहीं दे रही है फिर भी उसका नो ड्यू प्रमाणपत्र अत्यावश्यक है़ बैंक अधिकारी ने तो सौ रुपए के स्टैम्प पेपर पर शपथपत्र भी जरूरी कर दिया है़ उस शपथपत्र में सेवा सहकारी संस्था का कोई कर्ज नहीं होने का शपथपत्र देना पड़ता है तथा इसके बिना कर्ज भी मंजूर नहीं किया जा रहा है़ इस शपथपत्र के लिए किसानों को लाइन में लगकर स्टैम्प पेपर खरीदी करना पड़ रहा है़ इसके लिए पूरा दिन बर्बाद करना पड़ रहा है़ 400-500 रुपए का खर्च उठाना पड़ रहा है़
8 से 10 बार गए बिना नहीं होता काम
सेवा सहकारी संस्थाएं पिछले 20 साल से बंद पड़ी है़ कर्ज लेने पर जिस फार्म को भरकर देना होता है़ वह पूरी तरह अंग्रेजी में है, जो कि अशिक्षित किसानों को भरने कहा जाता है़ कोई भी कर्मचारी मदद नहीं करता. हजारों रुपए का वेतन लेनेवाले एसी में बैठनेवाले अधिकारी भूल जाते है कि वे भी किसान के ही बेटे है़ं उन्हें किसानों की तकलीफ का कोई अनुमान नहीं है़ बारिश हो चुकी है़ बुआई करनी है किंतु किसान कर्ज पाने बैंकों के चक्कर लगा रहे है़ं 8 से 10 चक्कर लगाने के बिना कर्ज के लिए जरूरी कागजात तैयार नहीं होते.