Cotton Purchase
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    वर्धा. आज के कपास के दाम दुनिया के बाजार में वर्ष 1994-95 से भी कम है़ देश के किसान को 8000 से 8500 रु़  प्रति क्विंटल के दाम रुपये के अवमूल्यन के कारण मिल रहे है़ं इन बातों पर ध्यान खींचने के लिये किसान नेता विजय जावंधिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पत्र भेजा है़  इसमें जावंधिया ने कहा कि इस वर्ष देश से कपास, सोयाबीन की खली (ठेप) डीओसी का निर्यात नहीं हो रहा है.

    इस कारण दुनिया के बाजार में मंदी है़ आज के कपास के दाम तो दुनिया के बाजार में 1994-95 से भी कम है़ अमेरिका के कपास बाजार में 1995 में एक पाउंड कई का दाम एक डॉलर दस सेंट था़ जो आज केवल एक डॉलर के आसपास ही है़ उस समय भारत के किसानों को कपास के दाम 2500 से 2700 रु़ प्रति क्विंटल के मिले थे़ उस समय कपास की एमएसपी केवल 1200 रु़ प्रति क्विंटल की थी़ उस समय एक डॉलर का विनिमय दर 32 रुपए था.

    शक्कर की तरह कपास निर्यात को दें प्रोत्साहन

    आज भारत के किसान को कपास के दाम 8000 से 8500 रु़ प्रति क्विंटल के मिल रहे है़ं  इस कारण रुपये का अवमूल्यन है़ आज एक डॉलर का विनियम दर 82 रु़ है़ केंद्र सरकार का कपास का समर्थन मूल्य एमएसपी तो केवल 6300 रुपये प्रति क्विंटल ही है़ इसके पूर्व भी 10 जनवरी 2023 को पत्र दिया था़ उसमें बिनती की है कि शक्कर की तरह कपास की निर्यात को प्रोत्साहन देना जरूरी है़ कपास की गांठे निर्यात नहीं होगी तो देश में कपास की गांठे ज्यादा उपलब्ध होगी़ इसका उपयोग दाम गिराने के लिये होने की बात जावंधिया ने कही. 

    आज देश में कपास को नहीं मिल रहे अच्छे दाम 

    कपास उत्पादक किसानों के लिये 5एफ की योजना की परिभाषा की है़  पहला एफ फार्म, दूसरा फाइबर, तीसरा फैब्रिक, चौथा फैशन व पांचवा फॉरेन कपड़ों का निर्णय का भी लाभ किसानों को मिलना चाहिये़ यह सरकार की योजना होने की बात कही. किन्तु आज कपास के दाम कम हो गये है़ निर्यात भी कम हुआ है़ पर कपड़े के दाम कम नहीं हो रहे है़ एक लाख रुपये खण्डी रुई का दाम 62 हजार 200 रुपये खण्डी के हो गया है. यह मुनाफा कहां जा रहा है. पिछले वर्ष अमेरिका का किसान एक डॉलर सत्तर सेंट में कपास बेच रहा था़  आज एक डॉलर में बेच रहा है़ वहां आत्महत्याएं क्यों नहीं है, यह भी सवाल जावंधिया ने पत्र में पूछा है.