हिंगनघाट (श. सं.). इस बार बारिश की लुकाछुपी जिले में देखने मिली़ पिछले तीन माह से जिले में केवल चार बार अच्छी बारिश हुई़ अगस्त में तो बारिश ने मुंह फेर लिया है़ बारिश के अभाव में फसलें भी दम तोड़ने लगी है़.
विविध बीमारी व इल्लियों का प्रकोप बना हुआ है़ पिछले पच्चीस दिनों से हिंगनघाट क्षेत्र में बारिश नदारद है़ जिनके पास सिंचाई की सुविधा हैं, वे स्प्रिंकलर से पानी दे रहे है़ं परंतु जो बारिश पर निर्भर है, वे संकट से घिर गए है़ं ऐन फूलों पर आने के बाद फसल पर येलो मोजैक ने अटैक किया है.
तहसील में करिब 17 हेक्टेयर में सोयाबीन की फसल ली़ परंतु इस संकट के कारण फसल खराब होने की कगार पर पहुंच गई है़ खेत बुआई के लिए तैयार करने से लेकर फसल निकालने तक काफी खर्च किसानों को आता है. परंतु प्राकृतिक आपदा से किसानों की उम्मीदों पर पानी फिर जाता है़ उक्त बीमारी से सोयाबीन की फसल पूर्णत: सूखती जा रही है. फल्लियां नहीं आ रही़ किसान महंगे कीटनाशक का छिड़काव कर रहे है़ं परंतु इसका अधिक प्रभाव नहीं दिखाई दे रहा़ ऐसे में लहलहाती फसल हाथ से निकलने का डर किसानों में बना हुआ है.
45 हजार हेक्टेयर में कपास पर संकट
काटन बेल्ट के रुप में तहसील को पहचाना जाता है़ इस बार करीब 45 हेक्टेयर में कपास की बुआई की गई है. परंतु बारिश के अभाव में कपास संकट से घिर गई है़ अगस्त में नहीं के बराबर बारिश हुई़ जून माह पूर्णत: सूखा गया़ जुलाई में थोड़ी बहुत बारिश हुई, जिससे किसानों को राहत मिली़ अगस्त में भी किसानों को निराशा हाथ लगी है. बारिश के अभाव में किसानों की परेशानियां बढ़ी. क्षेत्र में सूखे अकाल की स्थिति बनी हुई है़ लागत खर्च भी निकलना मुश्किल हो गया है.