वर्धा. केंद्र सरकार की नीति व पार्टी के भीतर दावपेंच के चलते भाजपा के जिलाध्यक्ष डा. शिरीष गोडे पार्टी को अलविदा करने के मूड में होने की जानकारी विश्वसनीय सूत्रों से मिली है. दिनभर चले घटनाक्रम के बाद पार्टी के शीर्ष नेताओं ने गोडे को मनाने का प्रयास तेज कर दिया था. परिणामवश गोडे ने भाजपा कार्यालय में आयोजित की हुई पत्रपरिषद अंतिम समय में रद्द कर दी. डा. गोडे को भाजपा में राजनीति का चाणक्य माना जाता है. उन्होंने शहर से लेकर ग्रामीणस्तर पर पार्टी का नये रूप से गठन किया था.
परिणामवश जिले में पार्टी के अच्छे दिन आये थे. सन 2011 में नप चुनाव व सन 2012 में जिप व पंस के चुनाव उनके नेतृत्व में लड़े गये थे. जिसमें भाजपा को अच्छी सफलता प्राप्त हुई थी. जीरो अथवा एक या दो सीट पर सिमटनेवाली भाजपा की जिप में शानदार एंट्री हुई थी. वर्धा जिप में पहली बार भाजपा की 17 सीटें चुनकर आयी थी. तथा वर्धा नप में 8 सीटें चुनकर आयी थी. जिससे गोडे कार्यकर्ताओं से लेकर नेताओं के पसंदीदा बने थे. सन 2013 के लोकसभा व 2014 के विधानसभा चुनाव उनके नेतृत्व में लड़े गये थे. सांसद के साथ ही दो विधायक उनके कार्यकाल में चुनकर आये थे.
2 बार बने अध्यक्ष
डा. गोडे का परिवार सहकारिता क्षेत्र से जुड़ा है. डा. गोडे ने भाजपा का दामन थामा था. सन 2010 में गोडे पहली बार भाजपा के अध्यक्ष बने थे. 2014 तक वही पद पर रहे. जिसके बाद राजेश बकाणे को अध्यक्ष बनाया गया. परंतु बकाने ने विधानसभा चुनाव के दौरान बगावत करने के कारण उन्हें जिलाध्यक्ष पद से हटाया गया. जिसके बाद डा. गोडे को पुन: जिम्मेदारी सौंपी गई. बीते दो वर्ष से गोडे जिलाध्यक्ष पद पर कायम हैं.
सांसद तडस के करीबी
डा. गोडे सांसद तडस के बेहद करीबी माने जाते हैं. दूसरी बार उन्हें जिलाध्यक्ष बनाने के लिये सांसद तडस ने व्यापक प्रयास किये थे. तडस और उनमें मधुर संबंध हैं. जिसके कारण ही तडस ने उन्हें देवली विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी बनाने की पेशकश हाईकमांड के पास 2019 के चुनाव के दौरान की थी.
काफी दिनों से चल रहे हैं नाराज
डा. गोडे काफी दिनों से पार्टी नेतृत्व व केंद्र सरकार की नीतियों के चलते नाराज चल रहे हैं. दो बार हार्ट सर्जरी होने का कारण बताकर उन्होंने त्यागपत्र देने की पेशकश की थी. परंतु उनकी नाराजगी दूर करने में पार्टी के नेताओं को सफलता मिली थी. बीते कुछ माह से डा. गोडे पार्टी की नीतियों व भीतरी राजनीति से परेशान चल रहे थे, ऐसी जानकारी सूत्रों ने दी.
दोपहर में बुलाई थी पत्रपरिषद
डा. गोडे ने अपना निर्णय जाहिर करने के लिये अपरान्ह 3 बजे भाजपा कार्यालय में पत्रपरिषद का आयोजन किया था. जिसकी जानकारी स्वयं गोडे ने पत्रकारों को दी थी. परंतु ऐन समय पर गोडे ने पत्रपरिषद रद्द करने की जानकारी देते हुए शुक्रवार को पत्रपरिषद ली जायेगी, ऐसी जानकारी संवाददाताओं को दी.
वरिष्ठों को भेजा त्यागपत्र
डा़ गोडे ने गुरुवार की सुबह ही अपना त्यागपत्र वरिष्ठों को भेजने की जानकारी है़ जिसके बाद स्थानीय भाजपा में हड़कम्प मच गया़ इस संदर्भ में डा़ गोडे से संपर्क करने पर उन्होंने त्यागपत्र देने की पुष्टि की है.
सांसद से लेकर शीर्ष नेता पहुंचे गोडे के निवास पर
डा. गोडे पार्टी छोड़ने की घोषणा करनेवाले हैं. ऐसी जानकारी मिलते ही पार्टी के शीर्ष नेता गोडे के निवास पर दोपहर में पहुंचे. जहां नेताओं ने उन्होंने समझाने का पूरा प्रयास किया. लेकिन गोडे अपनी बात पर अड़े रहने के कारण नेताओं ने उन्हें घर में नजरकैद कर रखा. जिसमें महामंत्री अविनाश देव ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने की जानकारी है. शाम 5 बजे के दरमियान सांसद रामदास तडस भी गोडे के निवास पर पहुंचे थे. उन्होंने भी गोडे को समझाने का प्रयास करते हुए वरिष्ठों से संपर्क कर उनकी नाराजगी दूर करने का प्रयास किया.