- आंखो पर हो रहा विपरित परिणाम, नियमों का नही हो रहा पालन, समय पर उपचार जरुरी
वर्धा. कोरोना संक्रमण का असर हर क्षेत्र में देखा जा रहा है. परंतु हर कोई अपने तरह से विकल्प खोजकर कोरोना से दो हाथ कर रहा है. इसी तरह का प्रयोग शिक्षा क्षेत्र में भी हुआ है. ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से बच्चों को ई-लर्निंग कराया जा रहा है. लेकिन इसमें नियमों का किसी तरह का पालन नही होने से ई-लर्निंग से सीवीएस (कम्प्युटर वीजन सिड्रोम) का खतरा बच्चों में बढ गया है. जिससे पर समय पर उपचार नही हुआ तो विपरित परिणाम भी देखे जा सकते है.
कोविड-19 के चलते स्कूल बंद होने से ऑनलाइन शिक्षा दी जा रही है. गुगल क्लासरुम जैसी ऑनलाइन क्लासरुम टूल्स से लेकर झूम तक व शिक्षकों के पॉडकास्ट तक रिमोट एजुकेशन रेंज के लिए उपाय तैयार किये जा रहे है. पालक भी बच्चों का शैक्षणिक नुकसान न हो, इसके लिए इस शिक्षा पद्धति को अपना रहे है. परंतु ऑनलाइन शिक्षा के कुछ नियम है. जिसमें हर वर्ष के बच्चों के लिए ऑनलाइन शिक्षा का समय तय किया गया है. लेकिन इसके बावजूद भी चार-चार घंटो तक ऑनलाइन शिक्षा दी जा रही है. कुछ जगह तो चार से छह घंटे तक ई-लर्निंग हो रही है. जिससे बच्चों की आंखो की समस्या बढ गई है. बच्चों का स्क्रीन टाइम अचानक बढने से आंखो की समस्या निर्माण हो रही है. जिससे सीवीएस के लक्षण पाये जा रहे है. जिसमें आंखो में दर्द, सिरदर्द, आंखे सूखना, आंखो में खुजली, चिडचिडापन, आंखे लाल होना, डिप्लोपिया, साफ दिखाई न देना आदी लक्षण बढ गए है.
ई-लर्निंग में नियमों का पालन जरुरी- डा़ सुने
नेत्रतज्ञ डा़ मोना सुने ने कहा कि, ई-लर्निंग में नियमों का पालन जरुरी है. हर 20 मिनिट बाद डिजिटल डिवाईस से 20 सेकंद का ब्रेक लेना चाहिए. जिसके लिए स्मार्टफोन पर हर 20 मिनिट में अलार्म सेट करें, देखने के लिए 20 फूट दूरी रखे, हर 20 मिनिट में 20 सेंकद 20 फूट दूरी पर होनेवाली चीजों पर ध्यान केन्द्रीत करें, केवल अपने आंखे बंद करें व हर 20 मिनिट में करीब 20 से 30 सेकंद आराम करें. इसके अलावा आंखो पर बढता तनाव दूर करने के लिए कृत्रि आंसू जैसे ड्राप्स का इस्तेमाल करें, स्क्रीन ब्राईटनेस हमेशा कमरे से मिलता जुलता रखे, आंखो के संबंधित कुछ समस्या होने पर तुरंत उपाययोजना करें, ऐसी सलाह डा़ सूने ने दी है.