पांचवें दिन भी जारी रही शिक्षक कर्मियों की हड़ताल

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    वर्धा. विदर्भ अशासकीय महाविद्यालयीन शिक्षकेतर कर्मचारी संगठना अंतर्गत वर्धा जिले के 22 अनुदानित अशासकीय मवि में कार्यरत शिक्षकेत्तर कर्मियों ने 18 दिसंबर से बेमियादीत हडताल शुरु कर दी है़ लेकिन अब तक मांगे मंजर नही होने से पांचवे दिन 22 दिसंबर को भी विद्यापीठ कर्मी हडताल पर डटे रहे. 

    उल्लेखनीय रहे कि, जिलाधिकारी कार्यालय के समक्ष शहर के 7 महाविद्यालय के कर्मियों ने एकत्रित आते हुए ठिय्या आंदोलन शुरु किया है. आंदोलन में करिब 200 कर्मचारियों ने हिस्सा लिया़ तहसीलस्तर पर भी आंदोल शुरु है़ .

    बता दें कि, 2 जून 1995 के शासननिर्णय सहित राज्य शासकीय कर्मियों को 1994 से 12 वर्ष सेवा के बाद समयबध्द पदोन्नति योजना लागू की गई़ यह समयबध्द योजना विद्यापीठी व इससे जुडे महाविद्यालयीन कर्मियों को 1 अक्टूबर 1997 से लागू की गई थी़ आगे 1 जुलाई 2001 से उक्त योजना सेवांतर्गत आश्वासित प्रगती योजना के रुप में बदली गई़ .

    सभी कर्मियों को शासननिर्णय 7 नवम्बर 2006 के तहत लागू की गई थी़ इसके बाद हकिम समीती की शिफारस अनुसार 6 वें वेतन आयोग के तहत आश्वसित प्रगती योजना 7 अक्टूबर 2009 की अधिसुचना के तहत लागू की गई थी़.

    इसके बाद योजना में वित्त विभाग ने कुछ सुधार कर बदलाव किए़ पश्चात शासननिर्णय 1 अप्रैल 2010 व 28 दिसंबर 2010 में विद्यापीठी व मवि कर्मियों को योजना लागू की गई़ इन दोनो शासननिर्णय में किये गए बदलाव पर वित्त विभाग की अनौपचारीक मान्यता नहीं ली गई़ इस तकनीकि कारण से उच्च व तकनीकि शिक्षा विभाग ने वित्त विभाग के निर्देश पर 7 दिसंबर 2018 व 16 फरवरी 2019 के शासननिर्णय के अनुसार पुर्वलक्षी प्रभाव से रद्द कर दिया गया़ .

    उक्त शासननिर्णय सरकार ने पुर्नजिवीत कर तत्काल प्रभाव से लागू करने की मुख्य मांग सहित अन्य 13 मांगों के लिए संयुक्त कृति समिती के 26 नवम्बर 2021 को औरंगाबाद में हुई सभा में 7 दिसंबर 2021 को विभागीय सहसंचालक कार्यालय के समक्ष धरणा दिया था़ पश्चात 13 व 14 दिसंबर 2021 को दो दिन विभागीय सहसंचालक कार्यालय समक्ष श्रृंखला अनशन भी किया था़ इसके बावजुद भी सरकार ने हमारा विचार नहीं किया़ इस लिए संयुक्त कृति समिती ने बेमियादी हडताल का निर्णय लिया, ऐसा बताया गया़ मवि शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को रद्द की गई सेवांतर्गत आश्वासीत प्रगती योजना पुर्नजिवीत कर लागू करें. राज्य 7 वें वेतन सुधारणा समिती-2017 की शिफारस अनुसार सरकारी कर्मियों की तर्ज पर तीन लाभ की योजना लागू करें.

    सहित अन्य महत्वपूर्ण मांगों पर सरकार कर ध्यान खींचा गया़ जिलाधिकारी के माध्यम से ज्ञापन सरकार को भेजा गया़ आंदोलन में विदर्भ संगठना के कार्याध्यक्ष दिलीप उपासे, जिलाध्यक्ष संजय तामगाडगे, सचिव अन्वर खान, उपाध्यक्ष राजा मेश्राम, कोषाध्यक्ष अनुप मून, सहसचिव मंगेश गिरडे, दिनेश भगत, रवी थुल, अजय लोखंडे, विनय मून, गजानन ढोले, पांडुरंग हजारे, प्रभाकर कामडे, श्रीकांत येंडे, शुभांगी ढोरे, शर्मिला कुलकर्णी, वंदना गायकवाड, तारा देशमुख, गायत्री देशमुख, गायत्री महत्वाने, अरविंद तांदले, प्रमोद वानखेडे, भाऊराव वाघाडे, प्रशांत साबले, राजेंद्र ब्राम्हणकर, साहेब गुडधे, सेवानिवृत्त कर्मचारी अनिल पोखरे, अशोक इंगले, मनोहर येतेकर, विश्वेश्वर भास्कर, विनोद बावणे, पुंडलिक बावणे, अशोक हिंगणकर, प्रफुल दरने, देवेंद्र नगराले, नरेश आगलावे, भोजराज मुंजेवार, विजय राऊत, भगवान गुजरकर, विजय, चौधरी, आकाश चांदूरकर, मनोज उईके व अन्य शामील हुए थे़