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वर्धा. जिला परिषद की स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी के चलते सरकार ने अब स्कूल में रिटायर्ड शिक्षक नियुक्त करने का निर्णय लिया है. मात्र सरकार के इस निर्णय के बाद भी रिटायर्ड शिक्षक पुन: आने के लिये तैयार नहीं है. वहीं दूसरी ओर शिक्षकों की संगठनों ने इस निर्णय को लेकर आपत्ति जताई है. राज्य सरकार की ओर से कर्मियों की भर्ती बीते अनेक वर्षों से नहीं की जा रही है. इसका असर सभी विभागों के कामकाज पर पड़ रहा है. जिला परिषद के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्र में प्राथमिक व माध्यमिक स्कूल चलाई जाती है. जिले में कुल 921 स्कूलों में 2,780 शिक्षकों की आवश्यकता है. परंतु बीते कुछ वर्षों से शिक्षकों की नियुक्ति पर सरकार ने पाबंदियां लगाई है. प्रति वर्ष शिक्षक रिटायर्ड भी हो रहे हैं. परिणामवश शिक्षकों का बैकलॉग बढ़ते ही जा रहा है. वर्तमान में 237 शिक्षकों के पद रिक्त हो चुके है. आगामी दिनों में यह संख्या बढ़ती जायेगी.

छात्रों की शिक्षा पर हो रहा विपरीत असर

शिक्षकों के पद रिक्त होने के कारण अनेक स्कूलों में शिक्षकों की कमी होने के कारण उसका सीधा असर छात्रों पर हो रहा है. एक अथवा दो शिक्षक कक्षा एक से सातवीं तक के छात्रों को पढ़ाते हैं. परिणामवश छात्रों को समूचा ज्ञान नहीं मिला पाता. अपने पाल्य के अधूरे ज्ञान को लेकर क्रृद्ध हुए पालकों व्दारा स्कूल को ताला जड़ने की घटनाएं जिले में घट चुकी है. वहीं दूसरी ओर एक से अधिक कक्षाओं के छात्रों को पढ़ाते समय शिक्षकों को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है.

शिक्षाधिकारी के जरिए होगी नियुक्ति

राज्य सरकार ने शालेय शिक्षा विभाग ने रिटायर्ड शिक्षकों की नियुक्ति के संदर्भ में 7 जुलाई को आदेश निकाला है. इसमें कहा गया कि नये शिक्षा सत्र में छात्रों का नुकसान टालने के लिये रिटायर्ड शिक्षकों की 20 हजार रुपए के मानधन पर नियुक्ति की जाए. नियुक्ति के संदर्भ में कुछ नियम भी बनाये गये है. रिटायर्ड शिक्षक की आयु 70 वर्ष से अधिक न हो. शिक्षणाधिकारी रिटायर्ड शिक्षकों से आवेदन लेकर उनकी नियुक्ति करें व उसका एग्रीमेंट बनाये व अन्य कुछ शर्तें रखी गई है.

सरकार की नकारात्मकता के कारण निर्णय

स्कूलों में रिटायर्ड शिक्षक नियुक्त करना यह सोची समझी चाल है. शिक्षक भरती के संदर्भ में सरकार की नकारात्मक सोच झलक रही है. ठेका पद्धति से शिक्षक नियुक्त करने का षड्यंत्र सरकार ने रचा है. आज राज्य में सुशिक्षित हजारों युवा बेरोजगार हैं. उनका रोजगार छीनने का काम सरकार कर रही है. इस निर्णय का हम विरोध करते है.

-विजय कोंबे, म.रा.प्राथ. शिक्षक समिति