Complaint against Grain Distribution Officer of Manpa councilors, memorandum submitted to District Magistrate

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    • गरीबों के अरमान टूटे

    आसेगांव. कोरोना काल में लगे लाकडाउन के समय में आर्थिक परिस्थिति से झूजने वाली देश की जनता को आर्थिक स्वरूप मदद दिलाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार तथा प्रधानमंत्री की संकल्पना से  राशन कार्डधारक प्रति व्यक्ति को पांच किलो मुफ्त अनाज देने का कार्य शुरू किया गया था. जो पहले एक वर्ष व दूसरी घोषणा में 7 माह तक लाभ मिलता रहा. किंतु अगले माह में मुफ्त राशन अनाज की योजना बंद होने के संकेत बन गए है.

    जिस कारण गरीबों के सपने टूटने लगे है. मुफ्त मिलने वाले अनाज से सामान्य लोगों को बड़े पैमाने पर लाभ मिलने के साथ ही जीवनयापन में गरीबों को सहूलियत मिलने लगी थी. किंतु अब जब गरीब कल्याण योजना का राशन बंद होने की संभावना बन गई है. तो गरीबों में नाराजगी देखने को मिल रही है.

    वर्ष 2021 में गरीब कल्याण योजना के तहत गरीबों को राशन कार्ड के जरिए मिलने वाले अनाज के अतिरिक्त मुफ्त अनाज का लाभ मिल रहा था. किंतु अब उक्त अनाज मिलने की समयावधि समाप्त होने वाली है. जिस कारण अब अगले माह से केवल राशन कार्ड पर मिलने वाला अनाज ही लाभार्थियों को मिलेंगा. जिससे सामान्य लोगों का बड़े पैमाने पर नुकसान होने की बात स्वंय नागरिक ही करने लगे है.

    लेकिन मुफ्त अनाज वितरण के बाद होने वाली कालाबाजारी पर अब पूरी तरह से ब्रेक लगने के संकेत भी बन गए है. क्योंकि जिस समयावधि के दौरान मुफ्त अनाज का वितरण हुआ. उस दौरान सफेद चावल की कालाबाजारी धड़ल्ले से जारी रही. कालाबाजारी के पीछे सबसे मुख्य कारण यह भी था कि जनता को केवल अनाज देकर ही आर्थिक मदद का प्रलोभन दिया जा रहा था. जबकि जीवनयापन के लिए पैसो की भी आवश्यकता जरूरी होती है.

    जिस वजह से मुफ्त मिलने वाले अनाज को अनेक गरीब लोग बेचकर अपना खर्च चलाने लगे थे. इसी वजह से सफेद चावल की कालाबाजारी भी इस दौरान बढ़ गई थी. किंतु अब जब मुफ्त अनाज की प्रक्रिया बंद होने वाली है. तो कालेबाजार पर भी पूरी तरह से अंकुश लग जाएंगा. किंतु इस में भी गरीबों का ही नुकसान होने वाला है. यूं कहे तो सरकार द्वारा गरीब कल्याण योजना बंद कर रही है. लेकिन गरीबों के सपने ही इस योजना के बंद होने से टूटने लगे है.