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    यवतमाल.  केंद्रीय अर्थमंत्री निर्मला सीतारामन ने मंगलवार 1 फरवरी को संसद में  बजट सत्र वर्ष 202-23  के लिए अर्थसंकल्प प्रस्तूत किया है. अर्थमंत्री सीतारामन ने बजट से विविध घोषणा की  है. इस बजट में पिछले छह वर्ष से  वसुले जानेवाले आयकर में छुट नही दी गई. गांव ग्रामिण अर्थव्यवस्था बढने के लिए कृषी क्षेत्र में पैसा गुंतवणूक करने का अवसर था. देश के किसान इस बजट की ओर से निराशा से देख रहे है. ऐसी प्रतिक्रिया नागरिको की ओर से आ रही है. यह बजट किसीकों खुशी तो किसी को गम देनवाला है.  

    देश  के जनता के लिए अत्यंत निराशाजनक शाब्दिक बजेट 

    देश आर्थिक महामंदी में गया है. इस बजट में नागरिकों को किसी भी प्रकार की राहत नही मिला है. केवल शब्दों का खेल करके बजट संसद में प्रस्तूत किया है. इसमें नागरिकों की निराशा हो गई है. देश के अर्थव्यवस्थ का कणा के रूप में  किसानों के लिए यह बजट निराशावादी है. कर जमा करनेवाले नागरिकों को कुछ दिलासा नही दिया गया है.

    मध्यमवर्गीय, सामान्य व्यक्ती, गरीब जनता को किसी भी का प्रकार इस बजट से लाभ नही दिया गयाहै.  केंद्र के पास  एक लाख 40 हजार करोड रूपये का जीसटी जमा करनेवाले वर्ग के हाथ में निराशा लगी है. देश में सबसे ज्यादा बेरोजगारी का संकट होने के बाद भी इस बजट में रोजगार के संदर्भ में कोई तरतूद नही गई है. साथ ही नौकर वर्ग को भी कोई लाभ नही मिल गय है. इस बजट से देश के विकास को गती नही मिलनेवाली है देशवासियों को केवल ठग होने की बात इस बजट से सामने आ रही है.

    गोपाल अग्रवाल, उमरखेड 

    देश के विकास को गती देने का अर्थसंकल्प  

    केंद्रीय अर्थमंत्री निर्मला सीतारामन ने संसद में प्रस्तूत किए अर्थसंकल्प देश के विकास को गती देनेवाला अर्थसंकल्प है. जिस वजह से देश में आत्मनिर्भर परीवार की संख्या बढेगी. आरबीआय का डिजिटल चलन, संरक्षण क्षेत्र संशोधन के लिए खुला करना,  रेलवे व रास्ते के लिए  की गई बढोत्तरी यह बात महत्वपूर्ण है. भारत को आत्मनिर्भर व ज्यादा शक्तिशाली बनाने के लिए यह  अर्थसंकल्प है. सर्वसामान्य व्यक्ती,  किसान व मजदूरों को दिसाला देनेवाला बजट है.  आज का अर्थसंकल्प यह भारत को  आत्मनिर्भर  करनेवाला है. 

     नितीन भुतडा, भाजपा जिलाध्यक्ष यवतमाल

    बजट पांच राज्य के चुनाव में ध्यान में रखकर प्रस्तूत किया. 

    बजट में आनेवाले पाच राज्य को चूनाव को ध्यान में रखकर  मूलभूत सूविधा व नौकरी की बडी आश्वसान दिया गया है.  जिस राज्य में चुनाव ळै उसकी राज्य में नॅशनल हायवे का प्रोजेक्ट घोषित  किया गय है. यह केवल नागरिकों के आंखों में धूलफेकना जैसे है. बेरोजगार की समस्या देश के सामने खडी है. अनेक मिल बंद पडे है. केवल घोषणा ना देते हूए बंद पडे हूए उद्योग शुरू करने के लिए  सरकार ने प्रयास कर बजट में उसकी तरतूद की होती तो रोजगार गए नागरिकों को रोजगार प्राप्त हो सकता था. किसान, मध्यमवर्ग व गरीब जनता को इस बजट से निराशा हो गई है.

    पराग पिंगले, शिवसेना जिला प्रमुख यवतमाल 

    बजट सर्वसामन्य के लिए 

    इस वर्ष का वर्ष का आर्थिंक बजट यह सर्वसामन्य नागरिकों को दूरदृष्टि रखकर बनाया गया है. मलभूत सूविधा के लिए नई रेवले, रास्ते, विमान, जहाज समेत अन्य ट्रांसपोर्ट के लिए अनेक योजना तैयार की गई है. डाक ऑफिस को बैक का स्वरूप देकर  कर्मचारी व नागरिकों के लिए फायदेमंद होनेवाला है. रीयल इस्टेट के व्यवसाय को गति देने के लिए लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स  अधिकतम 37 प्र.श से  15 प्र.श पर लाया है. विविध योजना का खर्च चलाने के लिए व सरकारी खजीना में पैसे जमा करने के लिए क्रिप्टो करंसी को 30 प्र.श टैक्स देकर  अधिकृत करने का अयोजन की वजह से  सरकार के पास खजीना जमा होकर विविध योजना को गती मिलेगी. 

    अंकित राजू जैन, छात्र, CA, यवतमाल

    सर्वसामन्य नागरिकों का कमरतोडनेवाला व दिशाहीन बजट 

    इस बजट में कुछ नही होने की वजह से बडी निराशा सर्वसामन्य के झोली में पडी है.  48 हजार करोड के निवास निर्माण करने घोषणा केवल सपना है. प्रतिवर्ष की तरह इस वर्ष भी  60 लाख नए रोजगार निर्माण करने की घोषणा केवल हवाओं में है.  लेकिन प्रत्यक्ष रूप में कभी काम नही हुआ है. इस अर्थ संकल्प में  नौकर वर्ग , युवक, किसान व मध्यम किसानों को हाथ में निराशा लगी है. डिजिटल अर्थसंकल्प में कृषि क्षेत्र दिखााई नही दे रहा है. 

    बालू धानोरकर, सांसद 

    किसानों के लिए इस बजट में कुछ नही 

     इस बजट में स्थाई रूप से कोई उपया योजना नही की गई है.  रासायनिक खेती की तुलना में नैसर्गिक व सेद्रीय खेती उत्पादन में कम व उत्पादन खर्च ज्यादा आता है.  केंद्र सरकार ने वर्ष 2022 तक कृषी उत्पादन में  उत्पादन बढाने का उद्दिष्ट  रखा है. यह उद्दिष्ट झिरो बजट खेत व  सेंद्रिय खेती के आधार पर निश्चित करना असंभव है.  किसानों के बांध पर आधूनिक तंत्रज्ञान की आवाश्यकता है. 

     – मनीष जाधव, किसान नेता स्वाभिमानी किसान संगठन जिलाध्यक्ष