यवतमाल. लघु सिंचाई परियोजना के लिए सरकार द्वारा अधिग्रहीत भूमि को अतिरिक्त मुआवजे की वसूली के लिए अदालत द्वारा जब्ती का आदेश दिया था. तदनुसार, मंगलवार 19 दिसंबर को जमानतदार और आवेदक जब्ती के लिए कलेक्टर कार्यालय पहुंचे. अरुणावती सिंचाई विभाग के कार्यकारी अभियंता ने एक महीने की मोहलत मांगी. जिससे जब्ती की शर्मिंदगी टल गई.
रामलू उर्फ रामराव पिन्नमवार (उम्र 32 वर्ष, सिंघानिया लेआउट, चलबर्डी रोड, पांढरकवड़ा) को सरकार ने 15 जनवरी 1991 को झरी जामनी तहसील में आंबेझरी खेत परिसर में बारह हेक्टेयर 21 आर कृषि भूमि हिवरा झील के लिए अधिग्रहित की थी. भू-अर्जन अधिकारी ने किसान को मात्र 3 लाख 36 हजार 626 रुपये भुगतान करने का आदेश दिया. उक्त आदेश के बाद प्रार्थी ने अधिग्रहीत भूमि का मुआवजा बढ़ाने हेतु केलापुर न्यायालय में वाद प्रस्तुत किया. मामले का फैसला 19 जून 2008 को हुआ.
इस में 54 हजार प्रति हेक्टेयर एवं 30 प्रतिशत से अधिक सोलेटियम, विशेष घटक 12 प्रतिशत एवं सागौन के लिए 6,33,500/-, आम के पेड़ के लिए 2 हजार रूपये का ऑर्डर दिया गया. उक्त मामले में सरकार ने आवेदक को पहले वर्ष के लिए 9 प्रतिशत ब्याज और उसके बाद 95 प्रतिशत ब्याज दिया है. इसके बाद आवेदकों ने राशि की वसूली के लिए वर्तमान आवेदन दायर किया. इस बीच 18 दिसंबर 2020 को सरकार से 43 लाख 15 हजार 323 रुपये का अतिरिक्त मुआवजा वसूलने का पूरा लेखा-जोखा पेश किया गया.
इसी बीच 1 अक्टूबर 2021 को किसान रामलू की मौत हो गई. उसके बाद उनकी विधवा पत्नी, बेटे, शादीशुदा बेटी का नाम उनके उत्तराधिकारी के रूप में दर्ज किया गया. लेकिन अब तक वारिसों को अधिग्रहीत जमीन का मुआवजा नहीं मिल सका है. इससे पहले दो बार बकाया वसूली के लिए जिलाधिकारी कार्यालय से वारंट जारी किया गया था. इसके बाद फिर से कोर्ट ने 16 दिसंबर 2023 को कलेक्टर कार्यालय को मुआवजा वसूली के लिए अधिग्रहीत जमीन को जब्त करने का आदेश दिया.
तदनुसार, आज अधिग्रहित भूमि के उत्तराधिकारी, सागर उर्फ रामलू रामराव पिन्नमवार, वरिष्ठ कानूनी विशेषज्ञ बबन बिबेकर, एडवोकेट अभिजीत माने एडवोकेट अमित बदनोरे सहित जमानतदार धर्मेंद्र इंगोले ने कलेक्टर कार्यालय पर कब्जा करने के लिए दस्तक दी.आवेदक ने दो बार समय मांगने के बाद भी बकाया राशि नहीं मिलने पर उसे जब्त करने पर जोर दिया. हालांकि, ढाई घंटे बाद कलेक्टर ने अरुणावती सिंचाई परियोजना के कार्यपालन अभियंता से समन्वय स्थापित कर आवेदक से एक माह का समय मांगा.