Cotton Purchase
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वणी (सं). पिछले साल 14 हजार रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंची कपास की कीमत आठ महीने से इस उम्मीद में कपास किसानों के घरों में पड़ी है कि इस बार भी इसमें बढ़ोतरी होगी. वणी में कपास की खरीदी एक माह पहले ही बंद कर दी गई है. अब तक वणी, मारेगांव, मुकुटबन, कोरपना के किसान अपना कपास हिंगनघाट बाजार समिति में बेच रहे थे. 8000 की कीमत भी घटकर 7000 रुपये हो गई है.

यह सब होने पर अब हिंगनघाट बाजार समिति ने सोमवार से कपास की खरीदी बंद करने की घोषणा की है. बाद में बाजार कब शुरू होगा यह निश्चित नहीं है. ऐसे में किसानों के सामने सवाल खड़ा हो गया है कि घर में रखे कपास का क्या करें. सोयाबीन पर सूखे का संकट गहराने से किसानों ने कपास और कपास की बुआई बढ़ा दी है. तहसील में 44 हजार 750 हेक्टेयर क्षेत्र में कपास की खेती होती थी.

गिर गए दाम

किसानों की यह उम्मीद झूठी निकली कि उन्हें कम से कम 10 हजार रुपये प्रति क्विंटल का दाम मिलेगा. कीमतें बढ़ने की बजाय गिर गईं. सीज़न को सुविधाजनक बनाने के लिए, किसानों ने कीमत में गिरावट पर कपास बेचा. अब उत्पादन लागत मुश्किल हो रही है, इसलिए कुछ किसानों ने घर पर ही कपास का भंडारण कर लिया है.

गांवों में, कपास कई लोगों के आंगनों में और कुछ बगीचों में सुरक्षित रूप से संग्रहीत करके रखा है. किसानों को उम्मीद है कि 2024 के चुनावों से पहले अक्टूबर में कपास की कीमतें बढ़ेंगी. कुछ किसान कपास बेचने के लिए हिंगनघाट गए लेकिन वहां भी केंद्र बंद कर दिया गया.