Curfew in Nagpur
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    वणी. कोरोना की पार्श्वभूमि में लगभग सात-आठ महीने तक सभी लेन-देन और बाजार बंद रहे. सितंबर – अक्तूबर में जब कोरोना का प्रभाव कम हो गया, तब बाजार में अनलाक की प्रक्रिया शुरू करने की अनुमति मिली. फिर भी बढ़ती मुद्रास्फीति ने सार्वजनिक नियोजन में बाधा उत्पन्न की है. इससे पता चलता है कि बाजार अभी भी मंदी में है. वणी शहर में एक बड़ा बाजार और कपड़े, किराने, बर्तन और सराफा की बड़ी संख्या में दूकानें हैं. छोटी और बड़ी सामग्री बेचने का व्यवसाय भी अच्छा है. इसलिए तहसील के ग्रामीण क्षेत्रों के साथ तेलंगाना सीमा पर स्थित गांव का भी व्यापार और खरीद के साथ- साथ अस्पतालों के कारण इस शहर से सीधा संबंध है. इसके माध्यम से बाजार में वित्तीय कारोबार बढ़ता है.

    इस बीच कोरोना ने पिछले साल मार्च में राज्य में तालाबंदी का कारण बना. इसके बाद सभी दैनिक लेनदेन सात या आठ महीनों के लिए बंद कर दिए गए थे. वणी शहर में भी स्थिति ऐसी ही थी. सितंबर- अक्टूबर में दूकानें खोलने की प्रशासन की अनुमति के कारण वित्तीय कठिनाइयों में व्यापारियों को राहत मिली थी. हालांकि लाकडाउन के बाद ईंधन की बढ़ती कीमतों और बढ़ती महंगाई ने आम नागरिकों को भी खरीदने के लिए अनिच्छुक बना दिया है. व्यापारियों को दूकान का किराया निकालना भी मुश्किल हो रहा है क्योंकि नागरिक अभी भी उतना ही खरीद रहे हैं, जितनी उन्हें जरूरत है. इससे व्यापारियों के लिए वित्तीय संकट पैदा हो गया है. जैसे- जैसे कोरोना संक्रमण की संख्या बढ़ती है, इसका असर बाजार पर पडता है. 

    आनलाइन खरीदी की ओर बढ़ा ग्राहकों का झुकाव

    कोरोना संक्रमण को देखते हुए नागरिकों ने आनलाइन खरीदी की तरफ रूख किया है. बाजार में जाकर खरीदी करने से कोरोना का संक्रमण बढ़ जाता है. इसे देखते हुए ज्यादातर नागरिक वापस आनलाइन खरीदी की ओर बढ़ रहे हैं. आनलाइन खरीदी से जहां लोगों की जरूरतें पूरी हो रही हैं. वहीं दूकान लेकर बैठे व्यापारियों को अपना खर्च निकालने में भी परेशानी हो रही है.