Modi Visit Yavatmal

Loading

मोदी के यवतमाल दौरे पर सवाल
मुंबई/यवतमाल: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बुधवार को यवतमाल में हुई सभा को लेकर विपक्षी दलों ने ज़ोरदार निशाना साधा है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले का आरोप है कि पीएम के स्टेज और हैलीपैड के लिए करीब 13 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। उन्होंने सरकारी दस्तावेजों का हवाला देते हुए कहा कि मोदी की सभा का खर्च बीजेपी के बजाय सरकारी खजाने से किया गया है। केवल स्टेज और पंडाल पर 12 करोड़ 73 लाख 33 हजार 500 रुपए और हेलीपैड पर 3.5 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। यह पूरी तरह से जनता के पैसों की बर्बादी है। 

सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग
पटोले ने आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यवतमाल सभा के लिए सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग किया गया है। आशा सेविका महिला और स्वयं सहायता समूह के सदस्यों को बसों में जबरन भरकर सभा में ले जाया गया। मोदी की सभा के लिए विदर्भ मराठवाड़ा की बस के इस्तेमाल से जनता को परेशानी हुई है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने यह बात बुधवार को गांधी भवन में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कही। 

मोदी की सभा में राहुल के पोस्टर
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि लोग नरेंद्र मोदी और बीजेपी से ऊब चुके हैं। मोदी की सभा में लगी कुर्सी पर राहुल गांधी का पोस्टर लगाकर जनता ने सही संदेश दिया है। 2014 के चुनाव के दौरान मोदी ने किसानों की आय दोगुनी करने, कृषि उपज का उचित मूल्य देने, स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू करने और किसानों की कर्ज माफी समेत कई वादे किए थे। लेकिन जब वह सत्ता में आए, तो सब कुछ भूल गए और किसानों को धोखा दिया क्योंकि मोदी की गारंटी एक चुनावी जुमला था। यवतमाल संतों की भूमि है, मोदी ने संतों की भूमि पर झूठ बोला है। अब यवतमाल की जनता और किसान मोदी के झांसे में नहीं आएंगे। यही किसान बीजेपी को उनकी जगह दिखायेंगे। 

यह पैसा यवतमाल के किसानों को दिया जाना चाहिए
विधानसभा में नेता विपक्ष विजय वडेट्टीवार ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 1 दिवसीय कार्यक्रम के लिए महायुति सरकार ने जनता के 12 करोड़ 73 लाख रुपए  खर्च कर दिए। उन्होंने कहा कि कुछ घंटों के कार्यक्रम पर इतनी अधिक सरकारी धनराशि खर्च करने की जगह पर यदि इस पैसे से यवतमाल जिले में आत्महत्या करने वाले सैकड़ों किसानों के पीड़ित परिवार की मदद की जाती तो बेहतर होता। राज्य के सिर पर पहले ही 8 लाख करोड़ से ज्यादा का कर्ज हो चुका है। ऐसे में इस तरह की फिजूलखर्ची कहां तक जायज है।