कोटा. राजस्थान (Rajasthan) के कोटा (Kota) में आत्महत्या (Suicides) के मामले बढ़ रहे हैं। कोटा में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले 20 छात्र आत्महत्या कर चुके हैं। पिछले साल 15 छात्रों ने आत्महत्या की थी। इस पर चिंता व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) ने शुक्रवार को कोचिंग संस्थानों के प्रबंधन के साथ एक बैठक बुलाई गई है।
क्या बोले CM अशोक गहलोत?
CM अशोक गहलोत ने कहा, “कोटा में लगभग 18-19 बच्चों ने आत्महत्या कर ली है, इसलिए छात्रों की समस्याओं को समझना महत्वपूर्ण है। कोचिंग प्रबंधन प्रमुखों को एक बैठक के लिए बुलाया गया है और क्या किया जाना चाहिए इस पर चर्चा की जाएगी। मैं खुद समझने की कोशिश कर रहा हूं कि बच्चों पर ऐसा क्या दवाब आता है कि वे कोचिंग में आने के बाद आत्महत्या कर रहे हैं।”
#WATCH | Jaipur: Rajasthan CM Ashok Gehlot says, “Around 18 to 20 students have died by suicide in Kota & therefore it was important to understand the student’s problems. Coaching management heads have been called for a meeting & a discussion on what needs to be done will be… pic.twitter.com/bSafB1GbBv
— ANI MP/CG/Rajasthan (@ANI_MP_CG_RJ) August 18, 2023
छात्रावासों के पंखों में ‘स्प्रिंग’ लगाने का आदेश
फंदे से लटककर आत्महत्या करने की बढ़ती घटनाओं से चिंतित कोटा के प्रशासन ने छात्रों को ऐसे कदम उठाने से रोकने के लिए छात्रावासों को छत के पंखों में एक स्प्रिंग उपकरण लगाने का आदेश दिया है। कोटा के अधिकारियों और अन्य हितधारकों के बीच 12 अगस्त को एक बैठक में “आत्महत्या रोधी कदमों” पर चर्चा की गई। उपायुक्त ओ पी बुनकर ने बुधवार को निर्देश जारी कर सख्ती से इसका पालन कराने का निर्देश दिया। प्रशासन ने कहा कि अगर पंखे संबंधी निर्देशों का पालन नहीं किया गया तो छात्रावास मालिकों और उनके प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
ऐसे काम करता है उपकरण
अगर 20 किलो से अधिक वजन की कोई वस्तु पंखे से लटका दी जाए तो उसमें लगा स्प्रिंग फैल जाता है, जिससे किसी के लिए इस तरह से आत्महत्या करना असंभव हो जाता है। इसके साथ ही सायरन बज उठता है। कोटा हॉस्टल एसोसिएशन ने 2017 में इस उपाय पर चर्चा की थी। लेकिन शहर में अनुमानित रूप से 25,000 पेइंग गेस्ट सुविधाओं के कारण इसे लोकप्रियता नहीं मिली। यहां देश भर से हजारों छात्र हर साल प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए कोचिंग सेंटर में दाखिला लेते हैं। विशेषज्ञ इस बात को लेकर अनिश्चित हैं कि आत्महत्या से रोकने के लिए इस तरह के पंखे तनावग्रस्त छात्रों की कितनी मदद करेंगे। इस महीने, जिला प्रशासन ने निर्णय लिया कि छात्रों का समय-समय पर मनोवैज्ञानिक परीक्षण कराया जाएगा ताकि यह पता चल सके कि क्या वे जोखिम में हैं।
बच्चों की योग्यता का आकलन करना चाहिए
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, इस महीने ही कोटा में चार छात्रों ने आत्महत्या की। मंगलवार को बिहार के गया के 18 वर्षीय आईआईटी-जेईई अभ्यर्थी ने पीजी के अपने कमरे में लोहे के एंगल से लटककर जान दे दी। पिछले साल, आत्महत्या के मामलों में वृद्धि के बाद ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में विशेषज्ञों ने कहा था कि अभिभावकों को अत्यधिक प्रतिस्पर्धी संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) और राष्ट्रीय योग्यता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) की तैयारी के लिए उन्हें कोटा भेजने का निर्णय लेने से पहले पेशेवर विशेषज्ञों की मदद से अपने बच्चों की योग्यता का आकलन करना चाहिए।
अभिभावक बच्चों को बिना तैयारी के भेजते हैं कोटा
कोटा के न्यू मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मनोचिकित्सा विभाग के प्रमुख डॉ. चंद्रशेखर सुशील ने कहा कि बच्चों को डॉक्टर और इंजीनियर बनने के लिए प्रेरित करने के बजाय अभिभावकों को उन्हें एक योग्यता परीक्षा दिलानी चाहिए और फिर तय करना चाहिए कि उनके लिए सबसे अच्छा क्या है। विशेषज्ञों ने कहा कि अधिकतर अभिभावक अपने बच्चों को बिना किसी तैयारी के कोटा में कोचिंग के लिए भेजते हैं और उनका ध्यान केवल वित्त की व्यवस्था करने पर होता है।