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पटना: बिहार पुलिस (Bihar Police) ने जांच अधिकारियों के लिए अगले साल एक जनवरी से प्राथमिकी दर्ज होने के 75 दिन के भीतर मामलों की जांच पूरी करना बाध्यकारी बनाने का फैसला किया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी। वर्ष 2024 के पहले दिन से सभी थानों और जिला पुलिस के प्रदर्शन की मासिक आधार पर समीक्षा भी की जाएगी। अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी) बिहार पुलिस (मुख्यालय) जे एस गंगवार ने कहा, ‘‘बिहार सरकार राज्य पुलिस को लोगों के अधिक अनुकूल और जवाबदेह बनाने के लिए एक जनवरी 2024 से कई कदम उठाने की तैयारी कर रही है। हमारा मुख्य ध्यान जांच की गुणवत्ता में सुधार करना है।” 

एडीजी ने कहा, ‘‘हम एक जनवरी से ‘मिशन इन्वेस्टिगेशन ऐट 75 डेज’ शुरू कर रहे हैं। विशिष्ट मामलों को छोड़कर सभी मामलों में जांच (जिसमें आरोपपत्र दाखिल करना भी शामिल है) प्राथमिकी दर्ज होने के 75 दिन के भीतर पूरी की जाएगी।” गंगवार ने शुक्रवार को संवाददाताओं से कहा, ‘‘बिना किसी अनावश्यक देरी के पुलिस हर जांच 75 दिन के भीतर पूरी करेगी… और आरोपपत्र अदालत में दाखिल किए जाएंगे। यह याद रखा जाना चाहिए कि आरोपपत्र दाखिल करने में देरी कानून के सिद्धांतों के खिलाफ है।” 

भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और साक्ष्य अधिनियम को बदलने के लिए पारित नए कानूनों के संबंध में केंद्र द्वारा गजट अधिसूचना के बाद बिहार पुलिस भी आपराधिक न्याय प्रणाली में आमूल-चूल बदलाव लाने के लिए कमर कस रही है। गंगवार ने कहा कि इन तीन कानूनों के कार्यान्वयन के लिए अतिरिक्त ढांचागत सुविधाएं, सॉफ्टवेयर अपडेट और उपलब्ध मानव संसाधन प्रशिक्षण की आवश्यकता होगी। एडीजी ने कहा, ‘‘हम (बिहार पुलिस) अभियान के लिए तैयारी कर रहे हैं।” 

औपनिवेशिक युग के आपराधिक कानूनों को खत्म करने, आतंकवाद, लिंचिंग (भीड़ के हाथों किसी की मौत) और राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने वाले आपराधिक कृत्यों के लिए दंड को और अधिक सख्त बनाने संबंधी तीन नए विधेयकों को बृहस्पतिवार को संसद द्वारा मंजूरी दे दी गई। ये विधेयक बृहस्पतिवार को राज्यसभा में ध्वनि मत से पारित हो गए। लोकसभा ने बुधवार को इन्हें मंजूरी दे दी थी। (एजेंसी)