suicide
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गुवाहाटी. असम में अपराध जांच विभाग (सीईडी) की छानबीन में यह पुष्टि हुई है कि उदलगुरी जिले में पुलिस ने “गलत पहचान’ के आधार पर एक शख्स को डकैत समझकर ‘मुठभेड़’ में मार दिया था।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी। जांच में पता चला है कि मृतक, डकैत केनाराम बोरो उर्फ केनाराम बासुमतारी नहीं था, बल्कि उसका नाम दिंबेश्वर मुचाहारी था। उसके परिवार का दावा है कि वह छोटा किसान था लेकिन पुलिस ने दावा किया है कि वह‘ घोर अपराधी’ था।

पुलिस ने दावा किया था कि 24 फरवरी को रौता इलाके के धनसिरिखुटी गांव में हुई एक “मुठभेड़” में दो पुलिसकर्मी भी घायल हुए थे। बोरो की मां ने शव की पहचान अपने बेटे के रूप में की थी जिसके बाद शव उन्हें सौंप दिया गया था। हालांकि, शव के अंतिम संस्कार के बाद मुचाहारी के परिवार ने दावा किया कि वह उनका बेटा है। पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई, जिसके बाद मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने पुलिस महानिदेशक को सीआईडी ​​जांच का आदेश देने का निर्देश दिया, जो दो मार्च से शुरू हुई।

पुलिस अधिकारी ने बताया कि इसके बाद, शव को कब्र से निकाला गया और डीएनए विश्लेषण किया गया जिसमें सामने आया कि शव मुचाहारी का है न कि बोरो का। उन्होंने कहा कि जांच रिपोर्ट जल्द सरकार को सौंपी जाएगी और शव को मुचाहारी के परिवार को दे दिया गया है। मुचाहारी के परिवार ने कहा कि वे इंसाफ चाहते हैं क्योंकि पुलिस ने उनके बेटे को डकैत होने के संदेह में मार डाला है।

मृतक के रिश्ते के भाई ने कहा, “हम अब जरूरी अनुष्ठान करेंगे। वह एक छोटा किसान था और सरकार को आवश्यक मुआवजा देना चाहिए।” पुलिस ने कहा कि एनडीएफबी का पूर्व आतंकवादी बोरो असम और मेघालय में डकैतियों के कई मामलों में वांछित था और उसे पहले कई बार हथियारों के साथ गिरफ्तार किया जा चुका है। मुचाहारी उर्फ गोबला भी “घोर अपराधी” था और उसे पहले भी हथियारों के साथ गिरफ्तार किया गया था। दोनों को एक मामले में फरार दिखाया गया था। (एजेंसी)