बीरभूम हिंसा को लेकर विपक्ष आक्रामक; सुवेंदु अधिकारी के नेतृत्व में बीजेपी का प्रदर्शन, गृहमंत्री का मांगा इस्तीफा

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    बीरभूम: बीरभूम मामले को लेकर पश्चिम बंगाल में बवाल मचा हुआ है। भारतीय जनता पार्टी लगातार इस मामले को लेकर सत्तारूढ़ ममता बनर्जी सरकार पर हमलावर है। इसी क्रम में शनिवार को नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी के नेतृत्व में भाजपा नेताओं ने रामपुरहाट के एसडीओ कार्यालय के सामने विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान उन्होंने राज्य सरकार के खिलाफ जोरदार नारे भी लगाए। 

    अधिकरी ने कहा, “हम यहां 48 घंटे धरना देंगे। राज्य के गृह मंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए। हत्यारों की गिरफ्तारी नहीं चलेगी, साजिशकर्ता भी गिरफ्तार हों।”

    कांग्रेस ने भी निकाला मोर्चा 

    बीरभूम हिंसा को लेकर कांग्रेस ने भी राज्य सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इसी को लेकर कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी के खिलाफ मोर्चा निकाला। इस दौरान कांग्रेस नेताओं ने राज्य सरकार से दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने और ममता बनर्जी को पद से इस्तीफा देने की मांग की। 

    गांव में पसरा है सन्नाटा

    बोगतुई गांव में इस सप्ताह के प्रारंभ में आठ लोगों की हत्या के बाद यहां सन्नाटा पसरा हुआ है। हिंसा के डर से जिले में रामपुरहाट कस्बे के पास स्थित इस गांव से कई ग्रामीण अज्ञात स्थानों पर भाग गये। तृणमूल कांग्रेस के स्थानीय नेता भादू शेख की हत्या के एक दिन बाद मंगलवार को यहां आठ लोगों को जिंदा जला दिया गया था और इसके लेकर लोगों के मन में हिंसा का दौर शुरू होने का डर है।  

     नरसंहार की यह घटना गांव के पूरबापाड़ा में हुई थी। इस घटना के बाद ना सिर्फ इस बस्ती के ज्यादातर लोग बल्कि पड़ोसी पश्चिमपाड़ा और मायेरपाड़ा बस्तियों के ज्यादातर लोग भी भाग गये।  इलाके में स्थित एक मात्र सरकारी स्कूल सूना पड़ा हुआ है और आंगनवाड़ी केंद्र में सन्नाटा पसरा हुआ है।  

    उल्लेखनीय है कि सोनू का घर जला दिया गया था और वहां से सात झुलसे हुए शव बरामद किये गये थे। नरसंहार के प्रत्यक्षदर्शी आलम ने कहा, ‘‘मैं केवल यह कह सकता हूं कि यह प्रतिशोध में की गई हत्याएं थी। हमने घर के अंदर से सबकुछ देखा। हम सोनू के घर की ओर एक भीड़ के बढ़ने और बम की आवाज सुनकर अपने घर के अंदर छिप गये।  

    आलम ने घटना की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपने के कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश का स्वागत किया।  गांव में कम से कम 15 घरों की पहरेदारी एक बड़ी पुलिस टुकड़ी कर ही है। गांव की आबादी करीब 7,000 है।