-संतोष ठाकुर
रामेश्वरम : रामेश्वरम जाने वाले श्रद्धालु आने वाले समय में दुनिया के एक सबसे बड़े इंजीनियरिंग अजूबा के भी साक्षी बनेंगे। वह रेल यात्रा के दौरान जिस नए पंबन पुल से गुजरेंगे। वह दुनिया का पहला ऐसा रेलवे पुल होगा। जो पानी का जहाज आने के समय अपने आप ऊपर चला जाएगा। इससे पहले जो पुल बने हैं। उसमें पटरिया अलग होती थी। जहाज के जाने के बाद वह आपस में फिर से जुड़ती थी। जिसमें लगभग आधे घंटे का समय लगता था। लेकिन रेलवे ने पहली बार पंबन पुल में लिफ्ट प्रणाली का उपयोग कर पटरी बिछाई है। जिससे जहाज आने के बाद पटेरिया लिफ्ट की तरह ऊपर चली जाएंगी। जबकि जहाज के निकल जाने के बाद वह वापस अपनी जगह पर आ जाएंगी।
इस प्रक्रिया में केवल 10 मिनट का समय लगेगा। सबसे रोचक तथ्य यह है कि पुराना पंबन पुल समुद्र के बीच में बना हुआ है। यह लगभग 120 साल पुराना पुल है। इस पर जब रेलगाड़ी गुजरती है तो उसकी स्पीड 10 किलोमीटर प्रति घंटा की हो जाती है। ऐसे में सुरक्षा कारणों को देखते हुए रेलवे ने पंबन पुल के साथ ही नया पुल बनाने का निर्णय किया था। जिस पर रेलगाड़ियां 80 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ सकेंगी। इतना ही नहीं , पुराने पंबन पुल पर मालगाड़ी नहीं चलती थी। लेकिन नए पंबन पुल पर
मालगाड़ियां भी चलेंगी। इसकी वजह यह है कि इसे नवीनतम तकनीक से बनाया जा रहा है। यह पुल लगभग अगले 100 से अधिक वर्षों तक कार्य करेगा।रेल विकास निगम लिमिटेड की ओर से बनाया जा रहा यह नया पुल लगभग 2 किलोमीटर से अधिक लंबा है। यह दक्षिण भारत को रामेश्वरम से जोड़ने वाला प्रमुख पुल है।
इस पुल के बन जाने से रामेश्वरम तक रेलवे कई नई रेलगाड़ियों का संचालन भी कर पाएगा। इस समय केवल एक दर्जन रेलगाड़ी ही इस पुल से गुजरती है। इसकी वजह यह है कि यह पुल 120 साल पुराना हो चुका है। उसकी उम्र को देखते हुए उस पर अधिक रेलगाड़ियां नहीं चलाई जाती हैं। इसके साथ ही, इस नए पुल के बन जाने से भारत भूमि के अंतिम छोर ‘ धनुष्कोटी ‘ तक भी श्रद्धालु आसानी से पहुंच पाएंगे। धनुष्कोटी वही जगह है। जहां से रामसेतु शुरू होकर श्रीलंका तक जाता था। यहां से श्रीलंका समुद्र के रास्ते 12 नॉटिकल माइल की दूरी पर है।
रेलवे के एक अधिकारी ने कहा कि नए पंबन पुल पर करीब 560 करोड रुपए की लागत आएगी। इस पुल को इसी वर्ष दिसंबर तक यातायात के लिए खोलने का भी लक्ष्य रखा गया है। इसका अधिकतर कार्य पूरा हो गया है। इस नए पुल के शुरू हो जाने के बाद धनुष्कोटी में भी नए रेलवे स्टेशन के निर्माण और रामेश्वरम से वहां तक पटरियां बिछाने का कार्य किया जाएगा। धनुष्कोटी में पहले एक रेलवे स्टेशन था। जहां से माल आगे श्रीलंका तक जाता था। लेकिन साठ के दशक में आए एक भीषण समुद्री तूफान में यह रेलवे स्टेशन और रेलवे लाइन ध्वस्त हो गई थी। उसके बाद से इसे किसी ने भी बनाने में रुचि नहीं दिखाई थी।
केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार आने के बाद इस रेलवे स्टेशन और रेलवे लाइन पर ध्यान केंद्रित किया गया है। रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव स्वयं रामेश्वरम, धनुषकोडी और यहां पर बनाए जाने वाली नई लाइन के साथ ही यहां पर बनाए जाने वाले या पुनर्विकसित किए जाने वाले रेलवे स्टेशनों को लेकर निगरानी कर रहे हैं। रेलवे के एक अधिकारी ने कहा कि रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव की निगरानी की वजह से कार्य तेजी से अंजाम दिए जा रहे हैं।