Trial Of Ramlala Surya Tilak Completed
रामलला के माथे पर सूर्य तिलक (फोटो-ट्विटर)

अयोध्या में महापर्व रामनवमी पर रामलला का सूर्य तिलक होने वाला है। सूर्य तिलक का ट्रायल पूरा हो गया। सूर्य की किरणें मस्तक पर पड़ते ही रामलला का मुखमंडल प्रकाशित हो गया। इस ट्रायल का वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया है।

Loading

उत्तर प्रदेश: अयोध्या (Ayodhya) में रामलला (Ramlala) को सूर्य तिलक लगाने का एक वीडियो (Surya Tilak Video) सोशल मीडिया (Social Media) पर सामने आया है। प्राणप्रतिष्ठा के वक्त ही कहा जा रहा था कि भगवान का सूर्य तिलक होगा। इस बीच अब रामलला के माथे पर सूर्यदेव के तिलक लगाने का ट्रायल सफल (Ramlala Surya Tilak Trial Video) हुआ है। यह ट्रायल 8 अप्रैल को किया गया था। बता दें कि 17 अप्रैल को रामनवमी यानी राम जन्मोत्सव के दिन ठीक 12 बजे प्रभु राम को सूर्य की किरणें तिलक करने वाली है। 
सूर्य तिलक का अद्भुत नजारा 

सूर्य तिलक के ट्रायल का सामने आया वीडियो

केवल 1 मिनट 19 सेकेंड का है। इस वीडियो में रामंमदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास रामलला की आरती उतार रहे हैं। इसी बीच सूर्य की किरणें रामलला के मुखमंडल को प्रकाशित करती नजर आ रही हैं। इसके साथ ही राम सियाराम, सियाराम जय जय राम का संगीत सुनाई दे रहा है। इस बारे में अधिक जानकारी ये है कि रामनवमी से पहले रविवार को भी वैज्ञानिक सूर्य तिलक का एक और ट्रायल करेंगे।

सूर्य तिलक कराने में 2 साल की मेहनत

अब सबके मन में यही सवाल है कि आखिर मंदिर के गर्भगृह तक सूर्य की किरणें कैसे पहुंचेगी। दरअसल सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीबीआरआई) रुड़की के वैज्ञानिकों की एक टीम ने सूर्य तिलक कराने के पुरे मैकेनिज्म को तैयार किया है। जानकारी के लिए आपको बता दें कि सूर्य तिलक मैकेनिज्म के इस डिजाइन को तैयार करने में टीम को पूरे दो साल लग गए थे। 

हर साल होगा सूर्य तिलक 

गौरतलब हो कि साला 2021 में राम मंदिर के डिजाइन पर काम शुरू हुआ था। आपको जानकर हैरानी होगी कि सीबीआरआई के वैज्ञानिकों की एक टीम ने सूर्य तिलक मैकेनिज्म को इस तरह से डिजाइन किया है कि हर साल रामनवमी के दिन दोपहर 12 बजे करीब चार मिनट तक सूर्य की किरणें भगवान राम की प्रतिमा के माथे पर पड़ेंगी। 

इन कंपनियों की मदद 

जानकारी के लिए आपको बता दें कि इस निर्माण कार्य में सीबीआरआई के साथ सूर्य के पथ को लेकर तकनीकी मदद बेंगलूरु के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (आईआईए) की भी ली गई है। बेंगलूरु की एक कंपनी ऑप्टिका ने लेंस और ब्रास ट्यूब का निर्माण किया है।

गर्भगृह में जाएंगी सूर्य की किरणें

इस पूरी व्यवस्था को प्रोजेक्ट सूर्य तिलक का नाम दिया गया है। दरअसल इसमें एक गियर बॉक्स, रिफ्लेक्टिव मिरर और लेंस की व्यवस्था इस तरह की गई है कि मंदिर के शिखर के पास तीसरी मंजिल से सूर्य की किरणों को गर्भगृह तक लाया जाएगा। इसमें सूर्य के पथ बदलने के सिद्धांतों का उपयोग किया जाएगा। सीबीआरआई के वैज्ञानिक डॉ. प्रदीप चौहान ने बताया कि, शत प्रतिशत सूर्य तिलक रामलला की मूर्ति के माथे पर अभिषेक करेगा। इस तरह होगा रामनवमी को प्रभु राम का सूर्य तिलक।