आज हुआ रामलला का मनोरम 'सूर्यतिलक'। 'ऑप्टोमैकेनिकल सिस्टम' के इस्तेमाल से सूरज की किरणें पहुंची गर्भगृह तक।रामलला के महामस्तक पर सूर्यकिरणों से हुआ अर्ध्य।
नई दिल्ली/अयोध्या: आज यानी 17 अप्रैल को जहां पूरा देश रामनवमी के त्यौहार से हर्षोल्लासित है। वहीँ आज ही रामलला के महामस्तक का सूर्य किरणों से पावन अभिषेक भी हुआ। आज दोपहर करीब 12 बजकर 16 मिनट पर जब श्रीराम का जन्म हुआ उसी के बाद करीब 4 मिनट तक सूर्य की किरणें उनके मस्तक पर पड़तीं रहीं। आज इस ‘सूर्यतिलक’ से रामलला का पावन और सौम्य मुख और भी तेजोमय हो गया।
श्री राम जन्मभूमि मंदिर, अयोध्या से प्रभु श्री रामलला सरकार के मंगल जन्मोत्सव का सीधा प्रसारण
LIVE webcast of Mangal Janmotsav of Prabhu Shri Ramlalla Sarkar, from Shri Ram Janmabhoomi Mandir, Ayodhya https://t.co/WQKw2u10pe— Shri Ram Janmbhoomi Teerth Kshetra (@ShriRamTeerth) April 17, 2024
रामलला के दर्शनों के लिए लोगों का हुजूम
जानकारी दें कि, आज सुबह साढ़े तीन बजे से ही राम भक्त अपने आराध्य के दर्शन कर रहे हैं।वहीं आज रामलला को 56 प्रकार का भोग भी लगाया गया।अयोध्या में रामनवमी की पूर्व संध्या पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु राम मंदिर में रामलला के दर्शन करने के लिए पहुंचे हैं।आज राम की नगरी में लेजर और लाइट शो का आयोजन भी है।
#WATCH | ‘Surya Tilak’ illuminates Ram Lalla’s forehead at the Ram Janmabhoomi Temple in Ayodhya, on the occasion of Ram Navami.
(Source: DD) pic.twitter.com/rg8b9bpiqh
— ANI (@ANI) April 17, 2024
रामलला का सुर्यतिलक और ‘फिजिक्स’ का साथ
जानकारी हो कि, वेदों और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान राम सूर्यवंशी राजा के कुल में पैदा हुए थे और प्रतिदिन सुबह सूर्य को अर्ध्य देते थे। ऐसे में आयोध्या में राम नवमी पर प्रभु श्रीराम के बाल स्वरूप के राज तिलक की सारी तैयारियां की गईं थी। ऐसे में आज आज दोपहर 12 बजे अभिजीत मुहूर्त में भगवान राम के मस्तक पर सूर्य की किरणें मस्ताभिषेक की। आपको बता दें कि सूर्य तिलक के लिए फिजिक्स की एक खास तकनीक ऑप्टोमैकेनिकल सिस्टम (Optomechanical System) का इस्तेमाल किया गया जो सूरज की किरणों को गर्भगृह तक पहुँचाया।इसके लिए रुड़की सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (CBRI- Roorkee Central Building Research Institute) के विज्ञानियों की टीम ने खास तैयारियां की थीं।
यह भी बताते चलें कि, गर्भगृह में स्थापित रामलला के बाल स्वरूप की प्रतिमा तक सूर्य की किरणों को पहुंचाने के लिए यहां 1 रिफ्लेक्टर, 2 दर्पण, 3 लेंस और 8 से 9 मीटर लंबा पीतल पाइप इस्तेमाल हुआ है।जानकारी दें कि, रामनवमी की तारीख चंद्र कैलेंडर से तय होती है।ऐसे में राम लला का सूर्य तिलक समय पर हो, इसके लिए ऑप्टिकल में 19 गियर लगाए गए, जो सेकंड्स में दर्पण और लेंस पर किरणों की चाल बदल सकते हैं।