weavers business shined in UP

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राजेश मिश्र@नवभारत 
लखनऊ:
चुनावी बाजार में उत्तर प्रदेश में इस समय गमछे पार्टियों के ट्रेडमार्क बन गए हैं, जिसकी वजह से यूपी में बुनकरों का धंधा चमक गया है। इनमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए हरी किनारी के साथ नारंगी, समाजवादी पार्टी के लिए लाल और कांग्रेस के लिए तिरंगी पट्टी के साथ सफेद गमछे बनाने के भरपूर आर्डर हैं। 

उत्तर प्रदेश में पावरलूम बुनकरों का हब कहे जाने वाले अंबेडकरनगर जिले के अकबरपुर टांडा, मऊ और झांसी जिले के मऊरानीपुर कस्बे में इन दिनों अलग-अलग पार्टियों के लिए गमछे बनाने के भरपूर आर्डर हैं। चुनावी सीजन में प्रदेश के इन तीन कस्बों में बुनकर सब कुछ छोड़ कर गमछे बनाने में जुटे हैं। हालांकि गमछों के साथ ही टांडा में कुर्तों के लिए मिल मेड खादी की भी मांग में तेजी आयी है। आलम यह है कि आमतौर पर पावरलूम पर साड़ी तैयार करने वाले मऊ व मुबारकपुर के बुनकर भी गमछे तैयार करने में ज्यादा जुटे हुए हैं। अयोध्या से सटे हुए टांडा कस्बे में राजनीतिक दलों के गमछों के साथ ही रामनामी पीले दुपट्टे भी उसी तादाद में तैयार हो रहे हैं। 

राजधानी लखनऊ में भाजपा दफ्तर पर दुकान लगाने वालों का कहना है कि इस समय फुटकर नहीं बल्कि थोक में माल खरीदा जा रहा है। उनका कहना है कि अन्य जिलों के प्रत्याशी हजारों की संख्या में गमछे खरीद कर ले जा रहा है और हर दिन 1000 से ज्यादा गमछों की बिक्री हो जा रही है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में अभी चुनाव का रंग नहीं चढ़ा है जिसके बाद बिक्री में और भी तेजी आयी है। उनका कहना है कि गर्मी के चलते गमछों की और भी जरुरत महसूस हो रही है वहीं कार्यकर्ता अलग से नजर आए इसलिए भी प्रत्याशी गमछे बांट रहे हैं। 

टांडा में दर्जनों पावरलूम का संचालन करने वाले बड़े बुनकर इश्तियाक अंसारी बताते हैं कि राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के समय से ही रामनामी दुपट्टों की मांग बेतहाशा बढ़ी थी जो अब भी जारी है। अयोध्या आने वाले श्रद्धालु मंदिर में चढ़ाने और प्रतीक चिन्ह के तौर पर रामनामी गमछे खरीदकर ले जाते हैं। उनका कहना है कि बीते कुछ समय से सबसे ज्यादा नारंगी गमछों की मांग हो रही है और चुनाव आते ही इसमें और भी उछाल आ गया है। 

अंसारी के मुताबिक चुनावी सीजन में असली खादी जैसा नजर आने वाला पावरलूम पर तैयार होने वाले कॉटन के कपड़े की मांग में भी इजाफा हुआ है। उनका कहना है कि तिरंगी पट्टी वाले सफेद गमछे की मांग अमूमन हर सीजन में बनी रहती है पर चुनाव के टाइम में इसकी भी मांग पहले के मुकाबले ज्यादा हो गयी है। 

मउ जिले के मुबारकपुर कस्बे के बुनकर वसीम अंसारी का कहना है कि आम तौर पर एक पुराने तरीके वाले पावरलूम पर दिन भर में 500 गमछे तैयार हो जाते हैं जिन्हें थोक में 14-16 रुपये में बेचा जाता है। खुदरा बाजार में इसकी कीमत 22 से 25 रुपये तक हो जाती है। उनका कहना है कि तिरंगी पट्टी वाले सफेद गमछे की कीमत थोड़ी ज्यादा 20 रुपये आसपास रहती है जो खुले बाजार में 30 रुपये में बिकता है। वसीम कहते हैं कि इस समय अकेले उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि बाहरी प्रदेशों जैसे गुजरात, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश से भी गमछों की मांग आ रही है। 

उनका कहना है कि राजनीतिक दलों के प्रत्याशी कार्यकर्ताओं में बांटने के लिए थोक में गमछे का आर्डर दे रहे हैं। वहीं मऊरानीपुर में गमछों से कहीं ज्यादा कुर्तों के कपड़ों की मांग में तेजी देखने को मिल रही है। मऊरानीपुर से माल मंगाने वाले हाजी सलावत अली के मुताबिक किसी भी अन्य जगह के मुकाबले यहां के कपड़े ज्यादा टिकाऊ और सस्ते होते हैं। इस समय मऊरानीपुर से कुर्तों के थान सबसे ज्यादा मंगाए जा रहे हैं। 

राजधानी लखनऊ के विधायक निवास दारुलशफा के परिसर में सजी दर्जनों कुर्ता पायजामा की दुकानों पर लोगों की भीड़ दिख रही है। यहां मांग को देखते हुए पहले से तैयार किए गए कुर्ते-पायजामे बिक्री के लिए ज्यादा रखे जा रहे हैं।