( Image Source : INSTAGRAM/MENIMEKASHMIR)
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    नई दिल्ली: कहा जाता है अगर मन में विश्वास हो तो हमें जीतने से कोई नहीं रोक सकता, चाहे रास्ते कितने भी कठिन क्यों न हो, दिल में जज्बा लिए जो हर एक जंग को लड़ने निकल पड़ता है, उसकी जीत निश्चित है, ऐसा ही कुछ हुआ है काश्मीर की महक अशरफ़ के साथ, इस 21 वर्षीय लड़की ने अपने कला से ऐसा जादू चला डाला की पूरा काश्मिर इसके रैप से महकने लगा, जी हां यह काश्मीर की पहली महिला रैपर है, जिनके रैप से कई लोगों का दर्द बयां हुआ। लेकिन ये इतना भ सां नहीं था, आइए जानते है अपने रैप से पुरे कश्मीर घाटी में जादू चलाने वाली महक अशरफ़ के बारे में…  

    17 साल की उम्र में मिला ख़िताब 

    बता दें कि महज 17 साल की उम्र में महक को  कश्मीर की पहली महिला रैपर का खिताब मिल गया था, लेकिन ये सफर इतना आसान नहीं था। दुनिया की एक सच्चाई हम सब जानते है, जब हम नए सपने, नई सोच, रखने की कोशिश करते हैं तो कई लोग आपके विरोध में खड़े हो जाते हैं। वैसे ही महक के लिए अपने माता-पिता को रैपर बनने के लिए राजी करना आसान नहीं था वो  कश्मीर जैसी जगह में। उनके सामने भी कई तरह की बाधाएं आईं, लेकिन वो डटी रहीं उन्होंने हार नहीं मानी। आख़िरकार वह जीत गई। 

    12 साल की उम्र में शुरू किया गाना

    जब हम कुछ हासिल करने के लिए तैयार होते है तो उसके पीछे कुछ लोग हमारी प्रेरणा होते है, ऐसा ही कुछ महक से साथ हुआ। इस बारे में बात करते हुए महक ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया कि जब उन्होंने रैपर बनने की रुचि के बारे में माता-पिता को बताया तो उन्होंने कहा ऐसा करने से हमारे परिवार का अपमान होगा और उन्होंने इससे इनकार कर दिया था। अमेरिकी रैपर इमिनेम से प्रेरित होकर 12 साल की उम्र से ही महक ने गाना शुरू कर दिया था। महक को पहली बार रैप के तरफ अपने रुझान का तब पता चला जब उसने इमिनेम का गाना सुना। इसके बाद महक का रैप को लेकर इंटरेस्ट बढ़ने लगा और उन्होंने इस पर रिसर्च करना शुरू कर दिया, और फिर क्या था महक का रैप पुरे कश्मीर में लोग सुनने लगे। 

    रैप के जरिये लोगों के संघर्षों को व्यक्त 

    इसके बाद उन्होंने निकी मिनाज, ड्रेक और फिफ्टी सेंट को भी सुना, लेकिन इन सबके बीच जो उनके जेहन में रह गई वो थी एमिनेम की कहानी, जिसने उन्हें प्रेरित किया। इसके बाद महक ने इमिनेम का उल्टा मीनेम पर अपना नाम रखा। 2016 में सरकारी बलों द्वारा आतंकवादी कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के बाद कश्मीर में विरोध प्रदर्शन हुआ। उस समय छह महीने के लिए स्कूल बंद हो गए थे और हर ओर तालाबंदी कर दी गई थी। उस दौरान तालाबंदी के साथ-साथ विरोधों को देखते हुए महक ने ठाना कि वो लोगों के संघर्षों को व्यक्त करने के लिए रैप का रास्ता चुनेंगी और रैप के जरिए लोगों का दुख व्यक्त करेंगी। तब से वह रैप के जरिये लोगों की संघर्षों से भरी कहानी बयां करने लगी। 

    अलग-अलग मुद्दों पर किया रैप

    इसके बाद उन्होंने लैंगिक असमानता, राजनीतिक अन्याय और अन्य प्रचलित सामाजिक मुद्दों पर रैप करना शुरू कर दिया। 2017 में आरजे समीन जो नए कलाकारों मौका देने के लिए जाने जाते हैं उन्होंने अपने रेडियो चैनल पर महक के गानों को बजाना शुरू कर दिया जिसके बाद महक हिप-हॉप की दुनिया में एक नया नाम बनकर उभरीं। महक ने अब तक 15 गाने बनाएं हैं, जबकि कश्मीर में एक गाना बनाना भी मुश्किल है। महक वर्तमान में श्रीनगर के एक स्थानीय महिला कॉलेज से कला स्नातक की पढ़ाई कर रही हैं। जल्द ही उनके कुछ नए गाने सुनने को मिलेंगे जिनकी रिकॉर्डिंग चल रही है। ये भी गाने बेहद शानदार होंगे, यह उम्मीद कश्मीर के लोगों को है।