crocodile
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    नई दिल्ली: हम सब जानते है मगरमच्छ एक ऐसा जानवर है, जिसे पानी का राजा माना जाता है और ये खतरनाक भी होता है, ये अपने शिकार को पल में निगल जाता है। वही क्या आपको पता है कि मगरमच्छ अपना शिकार कभी दातों से नहीं चबाते बल्कि निगल जाते है, है न हैरानी वाली बात इतने खतरनाक दांत होते हुए भी मगरमच्छ चबाते क्यों नहीं आइए जानते है इससे जुड़े कुछ रोचक तथ्य… 

    मगरमच्छ ऐसा करता शिक़ार 

    आपको बताते है की मगरमच्छ कैसे शिकार करते है, दरअसल मगरमच्छ अपने शिकार को दांतों और जबड़ों की सहायता से फंसाकर दबाता है और सीधा हलक से नीचे उतार लेता है। वो बाकी दांत वाले जानवरों की तरह उसे चबा-चबाकर नहीं खाता। सुनने में ये अजीब है लेकिन सच है कि मगरमच्छ के दांत उसको खाने में मदद नहीं देते। वो सिर्फ उसके जबड़े को इतना मजबूत बना देते हैं कि वहां फंसने के बाद शिकार का बच निकलना असंभव हो जाता है। 

    जानें मगरमच्छ क्यों नहीं चबाता शिकार 

    दरअसल इस भयानक जानवर के मुंह में दांत तो होते हैं लेकिन उनकी संरचना ऐसी होती है कि वे शिकार को दबोच तो सकते हैं लेकिन चबाकर खा नहीं सकते। यही वजह है कि वे शिकार को दबाने के बाद सीधा मुंह में निगल जाते हैं। आपको ये जानकर भी हैरानी होगी कि मगरमच्छ के चार पेट होते हैं, जहां से शिकारको तोड़-मरोड़कर पहुंचाता है। मगरमच्छ के पेट में दूसरे जानवरों से कहीं ज्यादा गैस्ट्रिक एसिड होता है, जो खाने को पचाता है। मियामी साइंस म्यूज़ियम के एक्सपर्ट्स के मुताबिक ऑस्ट्रिच की तरह मगरमच्छ भी छोटे-छोटे कंकड़-पत्थर खाता है, ताकि ये पेट में खाने को ग्राइंड कर सकें।

    शिकार के बाद शांत रहता है जीव

    विशेषज्ञ बताते हैं कि मगरमच्छ अगर कोई बड़ा शिकार कर लेता है, तो उसे अगले कुछ दिन तक कुछ भी खाने की ज़रूरत नहीं पड़ती क्योंकि ये भोजन उसके पेट में धीरे-धीरे 10 दिन तक पचता है और वो शांत बैठा रहता है। मादा मगरमच्छ एक बार में 12-48 अंडे देती है, जिन्हें हैच करने के लिए उन्हें 55-100 दिन का वक्त लगता है। वे पैदा होते ही 7-10 इंच लंबे होते हैं लेकिन इन्हें बड़े होने में 4-15 साल का वक्त लग जाता है। इनकी जिंदगी इनकी प्रजाति पर निर्भर करती है. कुछ मगर 40 तो कुछ 80 साल तक भी ज़िंदा रह सकते हैं।