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नई दिल्ली/लाहौर: पाकिस्तान (Pakistan) में जहां अब तक आम चुनाव के नतीजे पूरी तरह से घोषित नहीं हुए हैं, लेकिन जिस तरह से शुरुआती नतीजे दिखे हैं, वो बिलकुल चौंकाने वाले हैं। जिस इमरान खान (Imran Khan) को आज पाकिस्तानी सेना ने पहले सत्ता पर बैठाया, फिर उसे तीन साल बाद सलाखों के पीछे भेज दिया। फिलहाल, इमरान 150 से अधिक मुकदमों का सामना कर रहे हैं। तीन मामलों में तो वे दोषी भी साबित हुए हैं और उन्हें तीनों अलग-अलग मामलों में जेल की सजा सुनाई गई है।

पाकिस्तान में आम चुनाव को जो प्रारंभिक नतीजों के मुताबिक इमरान खान समर्थित निर्दलीय उम्मीदवारों को सबसे ज्यादा सीटें मिली हैं। यानी पूर्व PM इमरान खान के उम्मीदवारों ने सबसे अधिक सीटों पर जीत दर्ज की है। इनकी संख्या अब 100 से पार हो गई है। ऐसे में ये पहली बार है, जब पाकिस्तानी सेना इमरान खान के आगे कमजोर होती दिख रही है। 

इमरान खान और सेना चीफ के बीच क्या दुश्मनी

ऐसे में आज हम जानते हैं कि इमरान खान और सेना चीफ के बीच क्या दुश्मनी है जो इमरान खान और प्रधानमंत्री की कुर्सी के बीच एक रोड़ा बनती दिख रही है। दरअसल पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर आर्मी चीफ बनने के बाद से ही खुद को एक ऐसे व्यक्ति के रूप में स्थापित करने की फिराक हैं जो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को गर्त से निकालेगा। आतंकवाद से भी लड़ेगा। राजनीतिक संरक्षक की भूमिका निभाएगा और देश के अंतरराष्ट्रीय मामलों में एक बेहतर कूटनीतिक नजरिया पेश करेगा।

इमरान की गिरफ्तारी में मुनीर की महत्वपूर्ण भूमिका

खुद सेना प्रमुख असीम मुनीर ने ही इमरान खान को गिरफ्तार कराने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इतना ही नहीं उन्होंने खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) को ही खत्म करने की ठान ली। क्योंकि PTI ने बार-बार सेना को मुनीर के खिलाफ उकसाया था। 2018 के चुनाव में पाकिस्तानी आर्मी ने ही इमरान को पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के कुर्सी तक पहुंचने में मदद की थी। चुनाव के बाद तीन साल तक इमरान की सरकार और सेना में सबकुछ ठीक रहा लेकिन 2021 के आखिर में तालमेल बिगड़ने लगा।

इमरान और सेना प्रमुख असीम मुनीर की पुरानी दुश्मनी 

वहीँ असीम मुनीर और इमरान खान के बीच दुश्मनी उस वक्त खुलकर सामने आई जब जून 2019 में इमरान खान के प्रधानमंत्री रहते मुनीर को इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (DG ISI) के पद से अनौपचारिक रूप से हटा दिया गया। एक रिपोर्ट की मानें तो इमरान खान अपनी पत्नी के खिलाफ असीम मुनीर द्वारा भ्रष्टाचार का सबूत पेश किए जाने से खासें नाराज थे। असीम मुनीर के इस कदम को इमरान खान ने दुस्साहस के रूप में देखा। इमरान खान ने असीम मुनीर को सेना प्रमुख बनने से रोकने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया। लेकिन इमरान खान असफल रहे।

इसी बीच जनरल बाजवा और इमरान खान के बीच भी रिश्ते तनावपूर्ण हो चुके थे। जनरल बाजवा के रिटायर्ड होने के बाद असीम मुनीर पाकिस्तान के सेना प्रमुख बने। असीम मुनीर के नेतृत्व में भी सेना जनरल बाजवा की तरह ही राजनीति से दूरी बनाए हुए न्यूट्रल थी। यह इमरान खान के लिए साफ़ संकेत था कि सेना अब उनका समर्थन नहीं करेगी।

जब इमरान ने की इंडियन आर्मी की तारीफ

यह स्थिति तब और बिगड़ गई, जब इमरान खान ने न सिर्फ विपक्ष और पाक आर्मी की मिलीभगत का संगीन आरोप लगाया, बल्कि इंडियन आर्मी की जमकर तारीफ कर दी। इसके बाद तो पाकिस्तानी आर्मी और इमरान के बीच दूरी और बढ़ गई। दरअसल, इमरान ने ये कह दिया था कि इंडियन आर्मी कभी भी भारतीय राजनीति में दखल नहीं देती, लेकिन पाकिस्तानी सेना अक्सर ऐसा सरकर सरकारें पलट देती है। आखिकार हुआ वही और इमरान की सरकार भी पलट दी गई।