Strong blow to Nepal's Prime Minister KP Sharma Oli, lost the vote of confidence in the House of Representatives
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    काठमांडू. नेपाल (Nepal) में मंगलवार को राजनीतिक संकट (Political Crisis) और गहरा हो गया जब उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने चौतरफा घिरे प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली (KP Sharma Oli) मंत्रिमंडल (Cabinet) के 20 मंत्रियों की नियुक्ति रद्द कर दी। इसके साथ ही संसद भंग करने के बाद उनके दो कैबिनेट विस्तार को अवैध करार दिया गया। यह जानकारी मीडिया में आई खबर में दी गई है।

    ‘काठमांडू पोस्ट’ ने खबर दी कि प्रधान न्यायाधीश चोलेंद्र शमशेर राणा और न्यायमूर्ति प्रकाश कुमार धुंगाना की खंडपीठ ने कहा कि सदन को भंग किए जाने के बाद कैबिनेट विस्तार असंवैधानिक है और इसलिए मंत्री अपना कर्तव्य निर्वहन नहीं कर सकते। इसने कहा कि इस आदेश के साथ ओली कैबिनेट में प्रधानमंत्री सहित पांच मंत्री बचे हैं।

    अदालत ने सात जून को वरिष्ठ वकील दिनेश त्रिपाठी सहित छह व्यक्तियों की तरफ से दायर याचिकाओं पर फैसला दिया। याचिका में आग्रह किया गया कि कार्यवाहक सरकार द्वारा किए गए कैबिनेट विस्तार को रद्द किया जाए। ओली (69) पिछले महीने संसद में विश्वास मत हारने के बाद से अल्पसंख्यक सरकार चला रहे हैं।

    उन्होंने राजनीतिक संकट के बीच चार जून और दस जून को मंत्रिमंडल विस्तार कर 17 मंत्रियों को शामिल किया। तीन राज्य मंत्री भी नियुक्त किए गए। वरिष्ठ वकील त्रिपाठी ने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय ने अंतरिम आदेश जारी कर सदन भंग होने के बाद मंत्रियों को काम करने की अनुमति नहीं दी है।”

    खबर में बताया गया कि नियुक्तियों को रद्द करने के लिए उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में अनुच्छेद 77 (3) का हवाला दिया है। इसके मुताबिक प्रधानमंत्री के विश्वास मत नहीं जीत सकने या इस्तीफा देने के बाद अगर प्रधानमंत्री का पद खाली होता है तो अगला मंत्रिमंडल गठित होने तक वही मंत्रिपरिषद् काम करती रहेगी।