
लेकुआंगोले (द सूडान): संयुक्त राष्ट्र (United Nations) ने चेतावनी दी है कि यमन (Yemen), बुरकीना फासो (Burkina Faso) और नाइजीरिया (Nigeria) समेत दक्षिण सूडान (South Sudan) वे चार देश हैं जिनके कुछ इलाकों में अकाल (Famine) पड़ सकता है।
दक्षिण सूडान के पिबोर काउंटी (Pibor County) को इस साल भयावह हिंसा और अभूतपूर्व बाढ़ का सामना करना पड़ा था। देश के लेकुआंगोले शहर में सात परिवारों ने एसोसिएटेड प्रेस को बताया कि फरवरी से नवंबर के बीच उनके 13 बच्चे भूख से मर गए। यहां के शासन प्रमुख पीटर गोलू ने कहा कि उन्हें सामुदायिक नेताओं से खबरें मिली कि सितंबर से दिसंबर के बीच वहां और आसपास के गांवों में 17 बच्चों की भूख से मौत हो गई।
‘इंटीग्रेटेड फूड सिक्योरिटी फेज क्लासिफिकेशन’ (Integrated Food Security Phase Classification) द्वारा इस महीने जारी की गई अकाल समीक्षा समिति की रिपोर्ट में अपर्याप्त आंकड़ों के कारण अकाल घोषित नहीं किया जा सका है। परंतु माना जा रहा है कि दक्षिण सूडान में अकाल की स्थिति है। इसका अर्थ है कि कम से कम 20 प्रतिशत परिवारों को भोजन के संकट का सामना करना पड़ रहा है और कम से कम 30 प्रतिशत बच्चे गंभीर रूप से कुपोषण के शिकार हैं। हालांकि दक्षिण सूडान सरकार रिपोर्ट के निष्कर्षों से सहमत नहीं है।
सरकार का कहना है कि यदि अकाल की स्थिति है तो इसे असफलता के तौर पर देखा जाएगा। देश की खाद्य सुरक्षा समिति के अध्यक्ष जॉन पंगेच ने कहा, “वे अनुमान लगा रहे हैं…, हम यहां तथ्यों पर बात कर रहे हैं। वह जमीनी हकीकत नहीं जानते।”
सरकार का कहना है कि देश में 11,000 लोग भूखमरी की कगार पर हैं और यह, खाद्य सुरक्षा विशेषज्ञों द्वारा रिपोर्ट में बताए गए 1,05,000 के अनुमान से बहुत कम संख्या है। दक्षिण सूडान, पांच साल तक चले गृह युद्ध से उबरने का संघर्ष कर रहा है। खाद्य सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि भूख का संकट जंग की स्थिति लगातार बने रहने के कारण ही उत्पन्न हुआ है।
वर्ल्ड पीस फाउंडेशन (World Peace Foundation) के कार्यकारी निदेशक अलेक्स डी वाल ने कहा कि जो कुछ भी हो रहा है, दक्षिण सूडान सरकार न केवल उसकी गंभीरता को अनदेखा कर रही है, बल्कि इस तथ्य को भी नकार रही है कि इस सकंट के लिए उसकी अपनी नीतियां और सैन्य रणनीति जिम्मेदार है।